Energy
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30th October 2025, 9:02 AM

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अडानी पावर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के लिए 2,906.46 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ घोषित किया है, जो FY25 की इसी अवधि के 3,297.52 करोड़ रुपये की तुलना में 11.8% कम है। कंपनी का परिचालन से समेकित राजस्व Q2 FY26 में 13,456.84 करोड़ रुपये तक 0.88% बढ़ा है, जो Q2 FY25 के 13,338.88 करोड़ रुपये से अधिक है। ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई (EBITDA) लगभग सपाट रही, जो पिछले साल के 5,999.54 करोड़ रुपये से केवल 0.03% बढ़कर 6,001.24 करोड़ रुपये हो गई।
कंपनी ने बताया कि तिमाही के दौरान मांग कमजोर रहने पर मानसून के जल्दी आगमन का असर पड़ा, जिसने सामान्य उपयोग पैटर्न को बाधित किया और मर्चेंट बाजार में टैरिफ को कम कर दिया। इसके अलावा, पिछले साल की भीषण गर्मी की स्थितियों के कारण जो मांग बढ़ी थी, उसके उच्च आधार प्रभाव ने भी साल-दर-साल वृद्धि के आंकड़ों को प्रभावित किया। Q2 FY26 में अखिल भारतीय ऊर्जा मांग वृद्धि (energy demand growth) 3.2% तक धीमी हो गई।
Adani Power की परिचालन क्षमता Q2 FY25 के 17,550 MW से बढ़कर Q2 FY26 में 18,150 MW हो गई है, जो मुख्य रूप से विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड से 600 MW क्षमता के अधिग्रहण (acquisition) के कारण हुआ है।
प्रभाव इस खबर से अडानी पावर की लाभप्रदता के रुझान (profitability trends) और भविष्य की वृद्धि को लेकर निवेशक सतर्क हो सकते हैं, जो इसके शेयर प्रदर्शन (stock performance) को प्रभावित कर सकता है। मौसम के पैटर्न पर निर्भरता बिजली क्षेत्र में अंतर्निहित जोखिमों (inherent risks) और संवेदनशीलता (sensitivities) को उजागर करती है। रेटिंग: 6/10
कठिन शब्द: समेकित शुद्ध लाभ (Consolidated Net Profit): सभी खर्चों, करों और ब्याज को घटाने के बाद किसी कंपनी और उसकी सभी सहायक कंपनियों का कुल लाभ। राजस्व (Revenue): किसी कंपनी द्वारा अपने सामान्य व्यावसायिक संचालन से उत्पन्न कुल आय, जैसे सामान या सेवाएं बेचना। EBITDA: ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई। यह किसी कंपनी के परिचालन प्रदर्शन का एक माप है, जिसमें वित्तपोषण और लेखांकन निर्णयों को शामिल करने से पहले देखा जाता है। YoY (Year-on-Year): साल-दर-साल, पिछले वर्ष की समान अवधि के डेटा के साथ एक अवधि के डेटा की तुलना। मर्चेंट बाजार (Merchant Market): बिजली बाजार का वह खंड जहां बिजली तत्काल आपूर्ति और मांग के आधार पर थोक कीमतों पर बेची जाती है, न कि दीर्घकालिक अनुबंधों के माध्यम से। उच्च आधार प्रभाव (High Base Effect): तब होता है जब किसी अवधि के परिणाम की तुलना पिछली अवधि से की जाती है, जिसमें असामान्य रूप से उच्च या निम्न आंकड़ा था, जिससे वर्तमान अवधि का परिवर्तन अधिक नाटकीय लग सकता है।