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मोतीलल ओसवाल के अनुसार, शहरी बाजारों को पीछे छोड़ ग्रामीण भारत की खपत में उछाल।

Economy

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Updated on 08 Nov 2025, 10:35 am

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Reviewed By

Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team

Short Description:

भारत में वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में ग्रामीण खपत में साल-दर-साल 7.7% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 17 तिमाहियों में सबसे अधिक वृद्धि है और इसने शहरी खपत को पीछे छोड़ दिया है। इस निरंतर वृद्धि का श्रेय बढ़ते वास्तविक वेतन, मजबूत कृषि ऋण, स्थिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बेहतर वर्षा जैसे सहायक कारकों को दिया जाता है। शहरी खपत, हालांकि धीमी रही, आगामी त्योहारी तिमाही में गति पकड़ने की उम्मीद है।
मोतीलल ओसवाल के अनुसार, शहरी बाजारों को पीछे छोड़ ग्रामीण भारत की खपत में उछाल।

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Detailed Coverage:

मोतीलल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) की "रूरल रूल्स, अर्बन फॉलोज़" (Rural Rules, Urban Follows) नामक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ग्रामीण खपत ने उल्लेखनीय मजबूती दिखाई है, जो वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में 7.7% साल-दर-साल बढ़ी है। यह आंकड़ा 17 तिमाहियों में देखी गई सबसे अधिक तिमाही वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, और शहरी खपत को महत्वपूर्ण रूप से पीछे छोड़ देता है, भले ही हाल ही में शहरी-आधारित खर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतिगत उपाय किए गए हों। ग्रामीण क्षेत्रों में यह मजबूत रुझान सहायक कारकों के संयोजन का परिणाम है। इनमें बढ़ते वास्तविक कृषि और गैर-कृषि वेतन, मजबूत कृषि ऋण उपलब्धता, ट्रैक्टरों और उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि, बेहतर वर्षा वितरण और स्थिर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSPs) शामिल हैं। इसके अलावा, इनपुट लागत में कमी ने किसानों की आय को बढ़ाया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। इसके विपरीत, त्योहारी मौसम से पहले शहरी खपत धीमी रही। हालांकि, व्यक्तिगत ऋण विस्तार और पेट्रोल की खपत जैसे संकेतक विवेकाधीन खर्च में निरंतर लचीलापन सुझाते हैं। रिपोर्ट का अनुमान है कि GST 2.0 के कार्यान्वयन और हाल ही में कीमतों में कमी के समर्थन से FY26 की तीसरी तिमाही में शहरी मांग मजबूत होगी। MOFSL द्वारा किए गए चैनल चेक से खुदरा श्रेणियों में मिश्रित सुधार का संकेत मिलता है, जिसमें ऑटो और आभूषणों में सुधार देखा गया, जबकि फुटवियर, पेंट, एफएमसीजी (FMCG) और वस्त्रों में असमान रुझान प्रदर्शित हुए। अक्टूबर में ई-वे बिल जनरेशन, पेट्रोल के उपयोग और मॉल फुटफॉल जैसे उच्च-आवृत्ति संकेतक विभिन्न क्षेत्रों में खपत की निरंतर गति का संकेत देते हैं। आगे देखते हुए, MOFSL को उम्मीद है कि अनुकूल रबी फसल की संभावनाएं और नियंत्रित मुद्रास्फीति के समर्थन से ग्रामीण मांग अपनी मजबूत वृद्धि की गति को बनाए रखेगी। त्योहारी तिमाही के दौरान शहरी खपत में, विशेष रूप से विवेकाधीन श्रेणियों में, मजबूती आने का अनुमान है। MOFSL ने FY26 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि का अपना आधारभूत अनुमान 6.8% पर बनाए रखा है। प्रभाव: यह खबर भारत के आर्थिक चालकों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। ग्रामीण खपत की निरंतर मजबूती उन कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेतक है जिनका ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण एक्सपोजर है, जो उपभोक्ता आधार के एक बड़े खंड में लचीलापन दर्शाता है। निवेशक उन क्षेत्रों में अवसर तलाश सकते हैं जो इस प्रवृत्ति से लाभान्वित हो रहे हैं, जैसे कि कृषि-संबंधित उद्योग और ग्रामीण बाजारों को लक्षित करने वाले उपभोक्ता प्रधान उत्पाद। त्योहारी मौसम के दौरान शहरी मांग में अपेक्षित वृद्धि भी विवेकाधीन खर्च में वृद्धि की क्षमता प्रदान करती है। समग्र तस्वीर एक मजबूत घरेलू मांग वातावरण का सुझाव देती है, जो भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक है। रेटिंग: 8/10।


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