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भारतीय शेयर बाजार में बड़ा फेरबदल: विदेशी पैसा 15 साल के निचले स्तर पर, घरेलू फंड रिकॉर्ड ऊंचाई पर! आपके निवेश के लिए इसका क्या मतलब है!

Economy

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Updated on 14th November 2025, 12:13 AM

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Author

Aditi Singh | Whalesbook News Team

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Crux:

एनएसई रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 16.9% कर दी है, जो 15 वर्षों से अधिक में सबसे कम है। इसके विपरीत, घरेलू म्यूचुअल फंड ने 10.9% की जीवन-उच्च होल्डिंग हासिल की है। निफ्टी कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 23 साल के निचले स्तर पर है, जबकि घरेलू खुदरा निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी बनाए रखी है। यह इंडिया इंक को नियंत्रित करने वालों में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।

भारतीय शेयर बाजार में बड़ा फेरबदल: विदेशी पैसा 15 साल के निचले स्तर पर, घरेलू फंड रिकॉर्ड ऊंचाई पर! आपके निवेश के लिए इसका क्या मतलब है!

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Detailed Coverage:

एनएसई के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय कंपनियों में स्वामित्व के पैटर्न में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अपने निवेश को कम कर दिया है, जिससे भारतीय इक्विटी में उनकी कुल हिस्सेदारी घटकर 16.9% रह गई है, जो 15 वर्षों से अधिक में पहली बार देखी गई है। यह गिरावट तिमाही के दौरान $8.7 बिलियन के शुद्ध बहिर्वाह (net outflows) के कारण भी है। इसके बिल्कुल विपरीत, घरेलू म्यूचुअल फंड (DMFs) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, अपनी संयुक्त हिस्सेदारी को जीवन-उच्च 10.9% तक बढ़ा दिया है। यह वृद्धि लगातार सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) इनफ्लो और फंड हाउसों द्वारा लगातार इक्विटी खरीद से प्रेरित है। यह लगातार चौथा तिमाही है जब घरेलू संस्थानों ने विदेशी निवेशकों को पीछे छोड़ा है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि निफ्टी कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 23 साल के निचले स्तर 40% तक आ गई है। हालांकि, घरेलू खुदरा निवेशकों ने अपनी सामूहिक हिस्सेदारी 9.6% पर बनाए रखी है। म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स के साथ मिलाकर, व्यक्तिगत निवेशक अब बाजार का 18.75% नियंत्रण करते हैं, जो 22 वर्षों में सबसे अधिक है, जो घरेलू पूंजी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। प्रभाव इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। विदेशी से घरेलू स्वामित्व में बदलाव से बाजार की चाल अधिक स्थिर हो सकती है, वैश्विक भावना से होने वाली अस्थिरता कम हो सकती है, और घरेलू आर्थिक विकास चालकों पर ध्यान केंद्रित हो सकता है। यह देश की दीर्घकालिक संभावनाओं पर भारतीय निवेशकों और फंड प्रबंधकों के विश्वास को भी दर्शाता है। रेटिंग: 8/10।


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