Economy
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Updated on 11 Nov 2025, 12:52 am
Reviewed By
Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team
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भारत की खाद्य मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण गिरावट आई है, जो सितंबर 2025 में -2.28% के 30 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है, और इस गिरावट के जारी रहने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण वैश्विक खाद्य वस्तु की कीमतों में भारी गिरावट है, जो विश्व बैंक के अनुसार इस साल अब तक लगभग 11.5% कम हुई हैं। चावल की कीमतों में लगभग 30% की सबसे बड़ी गिरावट आई है, इसके बाद गेहूं (7%) और मक्का (3%) का स्थान है। सोयाबीन की कीमतें भी गिरी हैं। घरेलू स्तर पर, चावल, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन जैसी प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है, चावल के थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में नकारात्मक मुद्रास्फीति देखी गई है। दालें और तिलहन विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, जहां अत्यधिक आयात और अपर्याप्त सरकारी खरीद के कारण कीमतें लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, अरहर की कीमतों में 35% से अधिक और उड़द में 14% की गिरावट आई है। इस मूल्य गिरावट के कारण किसान दालों और तिलहन की खेती करने से हतोत्साहित हो रहे हैं, जो बुवाई क्षेत्र में कमी के रूप में दिखाई दे रहा है, जबकि चावल की खेती का विस्तार जारी है। वर्तमान परिदृश्य खाद्य तेलों और दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खरीद बढ़ाने जैसे नीतिगत उपायों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।
प्रभाव इस विकास का भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जो उपभोक्ता खर्च, एफएमसीजी (FMCG) और कृषि-व्यवसाय क्षेत्रों में कॉर्पोरेट आय, और संभावित रूप से भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की दिशा को प्रभावित करता है। यह कृषि क्षेत्र के भीतर संरचनात्मक चुनौतियों की ओर भी इशारा करता है जिन पर तत्काल नीतिगत ध्यान देने की आवश्यकता है। रेटिंग: 8/10
कठिन शब्द: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): सरकार द्वारा किसानों को उनके उत्पाद के लिए गारंटीकृत न्यूनतम मूल्य, जिससे उन्हें एक निश्चित आय स्तर सुनिश्चित होता है। थोक मूल्य सूचकांक (WPI): थोक स्तर पर बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में समय के साथ औसत परिवर्तन को ट्रैक करने वाला एक माप। अपस्फीतिकारी रुझान (Deflationary Trends): वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर कमी, मुद्रास्फीति के विपरीत। खरीद (Procurement): सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्दिष्ट मूल्यों पर कृषि उपज खरीदने की कार्रवाई। खरीफ क्षेत्र (Kharif Area): मानसून के मौसम (आमतौर पर जून से अक्टूबर) के दौरान बोई गई फसलों का कुल क्षेत्रफल।