Economy
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Updated on 12 Nov 2025, 11:36 am
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team

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भारत में खुदरा महंगाई अक्टूबर में अभूतपूर्व 0.25% के स्तर पर पहुंच गई, जो सितंबर में संशोधित 1.44% की तुलना में काफी कम है। यह नरमी मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में भारी कमी और सितंबर के अंत में लागू की गई माल एवं सेवा कर (GST) दरों में कटौती के पूर्ण प्रभाव के कारण है। सरकार ने घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए डेयरी उत्पादों और व्यक्तिगत देखभाल के सामानों सहित सैकड़ों आम उपभोग वाली वस्तुओं पर GST कम कर दी थी। खाद्य मुद्रास्फीति में साल-दर-साल 5.02% की तेज गिरावट देखी गई, जिसमें सब्जियों की कीमतों में 27.57% की गिरावट आई। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह अपस्फीतिकारी प्रवृत्ति (disinflationary trend) घरेलू बजट पर दबाव कम करेगी और आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए निरंतर नीतिगत उपायों का समर्थन कर सकती है। हालांकि, वे त्योहारी सीजन के दौरान वैश्विक मूल्य अस्थिरता और घरेलू मांग पर बारीकी से नजर रखेंगे।
**शब्दावली स्पष्टीकरण:** उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI): यह एक माप है जो परिवहन, भोजन और चिकित्सा देखभाल जैसी उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के भारित औसत की जांच करता है। इसकी गणना पूर्वनिर्धारित वस्तुओं और सेवाओं के समूह में प्रत्येक वस्तु के मूल्य परिवर्तनों को लेकर और उनका औसत निकालकर की जाती है। माल एवं सेवा कर (GST): यह माल और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, जो पूरे भारत में लागू होता है। सरकार समय-समय पर विभिन्न वस्तुओं पर GST दरों को संशोधित करती रहती है।
**प्रभाव** यह खबर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक प्रभावशाली है। महंगाई में तेज गिरावट उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि का संकेत देती है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है। यह केंद्रीय बैंक को उदार मौद्रिक नीतियों को बनाए रखने के लिए भी गुंजाइश प्रदान करता है, जो आर्थिक विकास का और समर्थन कर सकती है। हालांकि, वैश्विक मूल्य अस्थिरता चुनौतियां पैदा कर सकती है। Impact Rating: 8/10