Economy
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Updated on 12 Nov 2025, 12:07 pm
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team

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भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई अक्टूबर में रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25% पर पहुंच गया। इस महत्वपूर्ण नरमी का मुख्य कारण खाद्य महंगाई में 5% की साल-दर-साल (year-on-year) गिरावट है, जो लगातार दूसरे महीने खाद्य कीमतों में गिरावट को दर्शाता है। सब्जियों की कीमतों में 27.6% की भारी गिरावट आई, जो एक दशक से अधिक समय में दर्ज की गई सबसे बड़ी गिरावट है। अनाज (cereal) की महंगाई घटकर 0.9% रह गई, और दालों (pulses) में 16.1% की कमी आई, जो खरीफ की फसल से प्रचुर आपूर्ति का संकेत देता है। तेलों (oils) और वसा (fats) में सुधार ने भी खाद्य लागत को कम करने में योगदान दिया।
हालांकि, सभी श्रेणियों में कीमतें कम नहीं हुईं। कोर महंगाई, जिसमें खाद्य और ऊर्जा को बाहर रखा जाता है, स्थिर रही। आवास (housing) महंगाई 2.96%, स्वास्थ्य (health) 3.86%, और शिक्षा (education) 3.49% दर्ज की गई। विशेष रूप से, व्यक्तिगत देखभाल और संबंधित वस्तुओं (personal care and effects) की महंगाई बढ़कर 23.9% हो गई, जो महामारी के बाद इसका उच्चतम स्तर है, जिसका मुख्य कारण सोने (57.8% ऊपर) और चांदी (62.4% ऊपर) की कीमतों में मजबूत वृद्धि है। परिवहन और संचार (transport and communication) की महंगाई 0.94% पर आ गई।
क्षेत्रीय स्तर पर, मूल्य वृद्धि में भिन्नता देखी गई। केरल में सबसे अधिक महंगाई 8.6% दर्ज की गई, इसके बाद जम्मू और कश्मीर (3%) और कर्नाटक (2.3%) रहे। इसके विपरीत, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अपस्फीति (deflation) देखी गई, जहाँ महंगाई दर क्रमशः -2%, -1.7%, और -1.6% रही, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में तेज गिरावट थी।
प्रभाव (Impact): महंगाई में यह तेज गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति निर्णयों (monetary policy decisions) को प्रभावित कर सकती है, और यदि यह रुझान जारी रहता है तो ब्याज दरों में कटौती (interest rate cuts) का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। कम महंगाई से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति (purchasing power) बढ़ती है, जिससे मांग को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, सोने और चांदी की बढ़ती कीमतें कुछ खास वर्गों में विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) को प्रभावित कर सकती हैं।