Economy
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Updated on 08 Nov 2025, 07:44 am
Reviewed By
Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team
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भारतीय नियामकों ने म्यूचुअल फंडों द्वारा विदेशी बाजारों में निवेश की जाने वाली राशि पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। उद्योग-व्यापी सीमा लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, और व्यक्तिगत फंड हाउस 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक सीमित हैं। विदेशी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) में निवेश के लिए भी अलग सीमाएं हैं। ये नियम विदेशी मुद्रा बहिर्वाह (foreign exchange outflows) को प्रबंधित करने और वित्तीय स्थिरता (financial stability) बनाए रखने के लिए हैं।
प्रभाव (Impact): जब ये सीमाएं पार हो जाती हैं, तो म्यूचुअल फंड हाउस अपने अंतर्राष्ट्रीय फंडों में नए एकमुश्त (lump-sum) निवेश या नए व्यवस्थित निवेश योजनाओं (SIPs) को स्वीकार नहीं कर सकते। यह सीधे उन निवेशकों को प्रभावित करता है जो विविधीकरण (diversification) और रुपया-लागत औसत (rupee-cost averaging) का लाभ उठाने के लिए इन निरंतर निवेशों पर निर्भर करते हैं, खासकर जब वैश्विक बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों। निवेशक प्रभावी रूप से वैश्विक विकास के अवसरों में भाग लेने से वंचित हो जाते हैं, जिससे निराशा और बाजार में लाभ के अवसर चूक जाते हैं। फंड मैनेजर, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित (rebalance) करने की विशेषज्ञता होने के बावजूद, इन नियमों से प्रतिबंधित हैं। रेटिंग: 7/10।