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ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत बोले 'कॉलेज 'डेड' हैं', MBA की वैल्यू पर उठाए सवाल

Economy

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Updated on 07 Nov 2025, 06:16 pm

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Reviewed By

Aditi Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने कहा है कि पारंपरिक कॉलेज, खासकर MBA प्रोग्राम, अब अप्रासंगिक (obsolete) हो रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि MBA में जो ज्ञान सिखाया जाता है वह YouTube जैसे प्लेटफार्मों पर मुफ्त में उपलब्ध है और ChatGPT जैसे AI टूल्स के माध्यम से इसे और अधिक कुशलता से सीखा जा सकता है। कामत ने MBAs में समय और धन के महत्वपूर्ण निवेश पर सवाल उठाया, और कौशल विकास (skill development) और आत्मविश्वास निर्माण (confidence building) के लिए बेहतर विकल्प सुझाए। उन्होंने यह भी बताया कि Meta और Apple जैसी कंपनियां कौशल-आधारित भर्ती (skills-based hiring) की ओर बढ़ रही हैं, और भविष्यवाणी की कि यह बदलाव जल्द ही भारत पहुंचेगा, जो औपचारिक डिग्रियों के बजाय व्यावहारिक विशेषज्ञता (practical expertise) को प्राथमिकता देगा।
ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत बोले 'कॉलेज 'डेड' हैं', MBA की वैल्यू पर उठाए सवाल

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Detailed Coverage:

ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने यह कहकर एक बहस छेड़ दी है कि पारंपरिक कॉलेज, विशेष रूप से MBA प्रोग्राम, प्रभावी रूप से 'डेड' (बंद) हो गए हैं। ज़ेरोधा की 15वीं वर्षगांठ की चर्चा के दौरान, कामत ने तर्क दिया कि सुलभ डिजिटल लर्निंग (accessible digital learning) औपचारिक शिक्षा (formal education) को तेजी से पीछे छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि MBA पाठ्यक्रम (MBA curriculum) में जो कुछ भी सिखाया जाता है वह YouTube पर मुफ्त में उपलब्ध है, और ChatGPT जैसे AI टूल्स शिक्षार्थियों को और भी अधिक विस्तृत और अद्यतन ज्ञान (up-to-date knowledge) प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे स्व-शिक्षण (self-learning) पारंपरिक पाठ्यक्रम (coursework) की तुलना में अधिक प्रभावी और गतिशील (dynamic) हो जाता है।

कामत ने MBA डिग्री में काफी समय और पैसा निवेश करने के औचित्य (rationale) पर सवाल उठाया, खासकर उन लोगों के लिए जो असुरक्षाओं (insecurities) को दूर करना चाहते हैं। उन्होंने आत्मविश्वास और व्यावसायिक क्षमताओं (professional capabilities) के निर्माण के अधिक कुशल तरीके सुझाए। यह स्वीकार करते हुए कि कुछ प्रतिभागियों ने MBA कार्यक्रमों का उल्लेख छोटे शहरों के छात्रों को कॉर्पोरेट आत्मविश्वास (corporate confidence) हासिल करने में मदद करने के लिए किया था, उन्होंने तर्क दिया कि यह इतने उच्च वित्तीय और सामयिक लागत (financial and temporal cost) पर नहीं आना चाहिए।

इसके अलावा, कामत ने Meta और Apple जैसी प्रमुख वैश्विक फर्मों (major global firms) में एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति (significant trend) की ओर इशारा किया, जो तेजी से डिग्री-आधारित भर्ती (degree-based hiring) से दूर जा रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि यह दृष्टिकोण अंततः भारत में भर्ती प्रथाओं (hiring practices) को प्रभावित करेगा, जिससे कंपनियां औपचारिक शैक्षणिक योग्यताओं (formal academic qualifications) के बजाय व्यावहारिक विशेषज्ञता और व्यावसायिक कौशल (vocational skills) को प्राथमिकता देंगी।

प्रभाव (Impact): यह दृष्टिकोण उच्च शिक्षा (higher education) के पारंपरिक मूल्य (conventional value) को चुनौती देता है और करियर विकल्पों (career choices) को प्रभावित कर सकता है, जिससे अधिक लोग कौशल-आधारित लर्निंग (skill-based learning) और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platforms) की ओर बढ़ेंगे। निगमों (corporations) के लिए, यह विकसित हो रही भर्ती परिदृश्य (recruitment landscape) को मजबूत करता है, जहां योग्यता (competence) को प्रमाण-पत्रों (credentials) पर प्राथमिकता दी जाती है। शैक्षणिक संस्थानों (educational institutions) को व्यावहारिक कौशल (practical skills) की बाजार मांगों (market demands) के अनुरूप अपने प्रस्तावों (offerings) को अनुकूलित (adapt) करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) पर इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, जो भविष्य के कार्यबल विकास (workforce development) और कॉर्पोरेट रणनीति समायोजन (corporate strategy adjustments) से संबंधित है।