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ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टर्स के लिए भारत सबसे कम पसंदीदा बाजार बना

Economy

|

Updated on 09 Nov 2025, 04:25 pm

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Reviewed By

Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team

Short Description:

एचएसबीसी (HSBC) के एक नोट के अनुसार, भारत अब वैश्विक उभरते बाजार (global emerging market) के निवेशकों के बीच सबसे कम पसंदीदा बाजार बन गया है। फंड मैनेजर अब अपने पोर्टफोलियो में भारत को 'अंडरवेट' (underweight) कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि वे MSCI इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (MSCI Emerging Markets Index) में इसके बेंचमार्क वेट से कम पूंजी आवंटित कर रहे हैं। यह इंडेक्स भी दो साल के निचले स्तर पर आ गया है।
ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टर्स के लिए भारत सबसे कम पसंदीदा बाजार बना

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Detailed Coverage:

वैश्विक उभरते बाजार (GEM) के निवेशक भारत में बहुत कम रुचि दिखा रहे हैं, जिससे यह इस श्रेणी में सबसे कम पसंदीदा बाजार बन गया है। एचएसबीसी (HSBC) के एक हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि भारत अब जीईएम (GEM) पोर्टफोलियो में सबसे बड़ा 'अंडरवेट' (underweight) होल्डिंग है। इसका मतलब है कि फंड मैनेजर जानबूझकर भारत में उतना निवेश नहीं कर रहे हैं जितना कि प्रमुख बाजार सूचकांकों (major market indices) में इसके प्रतिनिधित्व से अपेक्षित है। विशेष रूप से, ट्रैक किए गए फंडों में से केवल एक चौथाई (quarter) 'ओवरवेट' (overweight) स्थिति बनाए हुए हैं, जिसका अर्थ है कि वे बेंचमार्क से अधिक निवेश करते हैं। वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख बेंचमार्क, MSCI इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (MSCI Emerging Markets Index) में भारत का तटस्थ भार (neutral weight) घटकर 15.25 प्रतिशत हो गया है, जो दो साल का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारतीय इक्विटी (Indian equities) के महत्वपूर्ण अंडरपरफॉरमेंस (underperformance) की अवधि के बाद आई है। फंड मैनेजरों द्वारा 'अंडरवेट' कॉल यह दर्शाता है कि उनका मानना है कि निकट भविष्य में भारत का शेयर बाजार व्यापक उभरते बाजार सूचकांक से बेहतर प्रदर्शन नहीं करेगा, जिसके कारण वे भारतीय संपत्तियों (Indian assets) में अपना आवंटन कम कर रहे हैं। इस घटी हुई विदेशी निवेश प्रवाह (foreign investment flows) से शेयर की कीमतों और समग्र बाजार प्रदर्शन पर दबाव पड़ सकता है। प्रभाव: यह खबर बताती है कि भारत में विदेशी निवेश प्रवाह में संभावित मंदी आ सकती है, जो भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इससे अस्थिरता (volatility) बढ़ सकती है और विभिन्न क्षेत्रों में स्टॉक वैल्यूएशन (stock valuations) पर दबाव पड़ सकता है। यदि यह भावना बनी रहती है तो बाजार में करेक्शन (correction) या अपने साथियों की तुलना में धीमी वृद्धि देखी जा सकती है। रेटिंग: 7/10।


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