Economy
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Updated on 11 Nov 2025, 09:06 am
Reviewed By
Abhay Singh | Whalesbook News Team
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UBS का अनुमान है कि भारत का GDP वित्त वर्ष 26 (FY26) की पहली छमाही (H1) में 7.4% तक मजबूत वापसी करेगा, और पूरे वित्त वर्ष 26 में वृद्धि 6.8% रहेगी। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ जैसे कारकों के कारण वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही (H2) में वृद्धि 6.3% तक नरम पड़ सकती है। इस उछाल के मुख्य चालकों में मजबूत घरेलू मांग, कर समायोजन, सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय का अग्रिम आवंटन, सहायक मौद्रिक नीति और निम्न GDP डिफ्लेटर शामिल हैं। वित्त वर्ष 26 में नाममात्र GDP वृद्धि (Nominal GDP growth) के 8.5% तक धीमा होने का अनुमान है, जो कॉर्पोरेट राजस्व को प्रभावित करेगा। घरेलू खपत (Household consumption) मजबूत रहने की उम्मीद है, जिसे प्रोत्साहन और कम मुद्रास्फीति से बढ़ी क्रय शक्ति से बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीण और शहरी खपत को कल्याणकारी खर्च, मानसून के पूर्वानुमान, GST युक्तिकरण और आयकर राहत से समर्थन मिलेगा। मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 26 में औसतन ऐतिहासिक रूप से निम्न 2.4% रहने का अनुमान है, जो हाल के वर्षों की तुलना में काफी कम है। इसके कारण खाद्य कीमतों में नरमी, अनुकूल जलवायु परिस्थितियाँ (तटस्थ ENSO), कम ऊर्जा लागत और GST में कटौती हैं। मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 27 में 4.3% तक बढ़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास वित्त वर्ष 26 में 25 आधार अंकों (bps) की एक और दर कटौती करने की गुंजाइश हो सकती है, जिससे रेपो दर (repo rate) 5.0-5.25% तक पहुँच सकती है। प्रभाव: यह खबर भारतीय शेयर बाजार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो निवेश निर्णयों, कॉर्पोरेट आय की उम्मीदों और मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण को प्रभावित करेगी। रेटिंग: 8/10।