Economy
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Updated on 12 Nov 2025, 01:51 am
Reviewed By
Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team

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भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने मुंबई में गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस समिट में कहा कि नियामक अंतरालों और ओवरलैप को खत्म करने के लिए अच्छे शासन का एक मजबूत इरादा आवश्यक है। उन्होंने कंपनी बोर्डों और नियामकों से आग्रह किया कि वे केवल प्रक्रियात्मक अनुपालन से आगे देखें और सक्रिय रूप से 'कागजी कार्रवाई नहीं, परिणामों को अपनाएं' (owning outcomes, not paperwork)। स्वामीनाथन जे. ने सुदृढ़ शासन स्थापित करने के लिए पांच महत्वपूर्ण प्रथाओं की रूपरेखा तैयार की: बोर्डों को वास्तविक परिणामों का स्वामित्व लेना चाहिए, अपने निर्णय लेने में वास्तविक स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए, जटिल समूह संरचनाओं (complex group structures) में गहराई से देखना चाहिए, आंतरिक नियंत्रण कार्यों (internal control functions) को प्रभावी ढंग से सशक्त बनाना चाहिए, और नियमित रूप से शासन अंतराल विश्लेषण (governance gap analyses) करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब इरादा मजबूत होता है, तो शासन संबंधी मुद्दे सरल हो जाते हैं और बुनियादी अनुपालन से परे जाकर एक साझा नैतिक प्रतिबद्धता बन जाते हैं। Impact: आरबीआई डिप्टी गवर्नर के इस बयान से भारत में कॉर्पोरेट शासन मानकों को बढ़ाने पर निरंतर ध्यान केंद्रित होने का संकेत मिलता है। कंपनियों और उनके बोर्डों को जवाबदेही (accountability) और उनके शासन ढांचे (governance frameworks) की प्रकृति पर बढ़ी हुई जांच का सामना करना पड़ सकता है, जिससे परिचालन पारदर्शिता (operational transparency) और जोखिम प्रबंधन (risk management) में सुधार हो सकता है। कागजी कार्रवाई के बजाय वास्तविक परिणामों पर ऐसा ध्यान अधिक मजबूत व्यावसायिक प्रथाओं और निवेशक विश्वास को बढ़ा सकता है। Rating: 7/10