Economy
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31st October 2025, 10:31 AM
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भारतीय शेयर बाज़ारों में गुरुवार को व्यापक गिरावट देखी गई, जिसमें एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 465.75 अंक गिरकर 83,938.71 पर बंद हुआ और एनएसई निफ्टी50 155.75 अंक गिरकर 25,722.10 पर आ गया। यह लगातार दूसरे दिन की गिरावट है, क्योंकि निवेशकों ने सतर्क वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बीच मुनाफ़ा वसूली का सहारा लिया।
* **मुनाफ़ा वसूली (Profit Booking):** एक मज़बूत तेज़ी के बाद, निवेशक अपना मुनाफ़ा बुक कर रहे हैं, जिससे बाज़ार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है। * **वैश्विक सतर्कता (Global Caution):** वैश्विक स्तर पर मिश्रित कॉर्पोरेट आय और भू-राजनीतिक विकास, साथ ही अमेरिकी फेडरल रिज़र्व से यह संकेत कि दिसंबर में दर कटौती की गारंटी नहीं है, ने 'रिस्क-ऑफ' (risk-off) यानी जोखिम से बचने की भावना को बढ़ावा दिया। * **विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बिकवाली:** मज़बूत अमेरिकी डॉलर और लंबी अवधि तक ऊंची ब्याज दरों की संभावनाओं ने FIIs की ओर से बिकवाली को फिर से प्रेरित किया। * **सेबी सर्कुलर की व्याख्या (SEBI Circular Interpretation):** भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के बाज़ार सहभागियों के लिए पात्रता मानदंडों से संबंधित नवीनतम सर्कुलर की बाज़ार की व्याख्या ने एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे प्रमुख बैंकिंग शेयरों पर दबाव डाला। * **सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSU Banks) का उत्कृष्ट प्रदर्शन:** सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) ने बढ़ी हुई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सीमा की उम्मीदों और दूसरी तिमाही के बेहतर वित्तीय नतीजों की प्रत्याशा के कारण बाज़ार से बेहतर प्रदर्शन किया।
बाज़ार में व्यापकता (market breadth) कमज़ोर बनी रही, जो समेकन (consolidation) की अवधि का संकेत देती है। निवेशक अब भविष्य की बाज़ार दिशा का अनुमान लगाने के लिए वैश्विक पैदावार, FII प्रवाह और आगामी दूसरी तिमाही की आय रिपोर्टों पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। अंतर्निहित (underlying) भारतीय इक्विटी के लिए आशावाद (optimism) मज़बूत बना हुआ है, इसलिए 'डिप्स पर खरीदें' (buy on dips) की रणनीति अपेक्षित है।
**प्रभाव (Impact):** इस ख़बर का भारतीय शेयर बाज़ार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, जिसने निवेशक भावना, प्रमुख सूचकांकों और प्रमुख बैंकिंग शेयरों को प्रभावित किया है। व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण और मौद्रिक नीति का रुख भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।