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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ा कमजोर, बाजार संतुलन बनाने की कोशिश में

Economy

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28th October 2025, 10:57 AM

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ा कमजोर, बाजार संतुलन बनाने की कोशिश में

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Short Description :

मंगलवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले थोड़ा कमजोर होकर 88.26 पर बंद हुआ, जो 88.33 पर खुला था। यह गिरावट कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर इंडेक्स में नरमी के बावजूद देखी गई। विश्लेषकों का मानना है कि रुपये को 88.40 के पास प्रतिरोध (resistance) और 87.60–87.70 के आसपास समर्थन (support) मिल रहा है, और अगर समर्थन टूटता है तो इसमें और गिरावट आ सकती है। फेडरल रिजर्व की अपेक्षित ब्याज दर कटौती और संभावित इक्विटी इनफ्लो से स्थिरता मिल सकती है।

Detailed Coverage :

मंगलवार को भारतीय रुपये में मामूली गिरावट देखी गई, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2 पैसे गिरकर 88.26 पर बंद हुआ, जबकि यह 88.33 पर खुला था। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब मुद्रा साल-दर-तारीख (year-to-date) 3.12 फीसदी कमजोर हो चुकी है। बाजार की भावना (market sentiment) अल्पकालिक दबावों (short-term pressures) और मध्यम अवधि की आशावाद (medium-term optimism) के बीच संतुलित दिख रही है। CR Forex Advisors के प्रबंध निदेशक अमित पबड़ी के अनुसार, रुपये की तत्काल ट्रेडिंग रेंज 87.60–87.70 के समर्थन और 88.40 के प्रतिरोध के बीच रहने की संभावना है। समर्थन टूटने पर यह 87.20 की ओर बढ़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक से पहले डॉलर इंडेक्स में गिरावट आई, और फेडरल रिजर्व द्वारा 28-29 अक्टूबर को अपेक्षित तिमाही-प्रतिशत (quarter-point) ब्याज दर कटौती भी डॉलर पर दबाव डाल रही है। जारी अमेरिकी सरकारी शटडाउन ने प्रमुख आर्थिक आंकड़ों को सीमित कर दिया है, लेकिन फेड का dovish रुख रुपये जैसी उभरती बाजार मुद्राओं (emerging market currencies) के लिए सहायक है। इसके अलावा, आगामी महीनों में प्राथमिक बाजार (primary market) में अपेक्षित विदेशी इक्विटी इनफ्लो (equity inflows) डॉलर की मांग को पूरा करके रुपये को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई।

**Impact**: इस खबर का भारतीय शेयर बाजार पर मध्यम प्रभाव पड़ेगा, जो आयात लागत, मुद्रास्फीति की उम्मीदों और विदेशी निवेशक की भावना को प्रभावित करता है। रुपये की चाल भारतीय निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता और आयातित वस्तुओं की लागत को प्रभावित करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से कॉर्पोरेट आय और उपभोक्ता कीमतों को प्रभावित करती है। एक स्थिर या मजबूत रुपया आम तौर पर आयातकों को लाभ पहुंचाता है और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है। एक कमजोर रुपया निर्यातकों को लाभ पहुंचा सकता है लेकिन आयात की लागत बढ़ाता है और मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकता है। रेटिंग: 6/10।

**Difficult Terms**: * **US Dollar**: संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा, जिसे अक्सर वैश्विक आरक्षित मुद्रा (global reserve currency) और मुद्रा व्यापार के लिए बेंचमार्क के रूप में उपयोग किया जाता है। * **Dollar Index**: छह प्रमुख विश्व मुद्राओं के समूह के सापेक्ष अमेरिकी डॉलर के मूल्य का एक माप। * **Federal Reserve**: संयुक्त राज्य अमेरिका की केंद्रीय बैंकिंग प्रणाली, जो मौद्रिक नीति (monetary policy) के लिए जिम्मेदार है। * **Primary Market**: वह बाजार जहां प्रतिभूतियां (securities) पहली बार बनाई और बेची जाती हैं, जैसे कि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO)। * **Equity Inflows**: विदेशी संस्थाओं द्वारा किसी देश के शेयर बाजार में किया गया निवेश। * **Crude Oil Prices**: अपरिष्कृत पेट्रोलियम (unrefined petroleum) की बाजार कीमत, जो एक प्रमुख वैश्विक वस्तु (global commodity) है और ऊर्जा लागत और मुद्रास्फीति को प्रभावित करती है। * **Brent Crude**: एक प्रमुख वैश्विक तेल बेंचमार्क, जो उत्तरी सागर से निकाले गए तेल पर आधारित है। * **WTI Crude**: वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट, एक और प्रमुख वैश्विक तेल बेंचमार्क, जो अमेरिकी घरेलू कच्चे तेल पर आधारित है। * **Real Effective Exchange Rate (REER)**: किसी देश की मुद्रा मूल्य का एक माप जो व्यापारिक भागीदारों के बीच मुद्रास्फीति के अंतर को ध्यान में रखता है, जिससे नाममात्र की दरों (nominal rates) की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मकता की अधिक सटीक तस्वीर मिलती है।