Economy
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31st October 2025, 9:04 PM
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (CBIC) ने 'कस्टम्स (स्वैच्छिक प्रविष्टि संशोधन पोस्ट क्लियरेंस) विनियम, 2025' (Customs (Voluntary Revision of Entries Post Clearance) Regulations, 2025) जारी किए हैं, जो 1 नवंबर से लागू होने वाले एक महत्वपूर्ण व्यापार सुविधा सुधार (trade facilitation reform) हैं। यह नई व्यवस्था अधिकृत संस्थाओं, जैसे कि आयातकों (importers), निर्यातकों (exporters), या लाइसेंस प्राप्त सीमा शुल्क दलालों (customs brokers) को, माल के सीमा शुल्क द्वारा क्लियर हो जाने के बाद भी, बिल ऑफ एंट्री (Bill of Entry) या शिपिंग बिल (Shipping Bill) में की गई अपनी सीमा शुल्क घोषणाओं (customs declarations) को स्वेच्छा से संशोधित करने की अनुमति देती है। संशोधन के लिए आवेदन मूल सीमा शुल्क के भुगतान (duty of customs) के सीमा शुल्क बंदरगाह पर दायर किए जाने चाहिए, और इन्हें मानक संशोधनों या धनवापसी (refund) से संबंधित मामलों के लिए डिजिटल हस्ताक्षर (digital signature) का उपयोग करके जमा किया जा सकता है। यदि विसंगतियां (discrepancies) पाई जाती हैं तो संशोधन प्रक्रिया में अधिकारियों द्वारा पुनर्मूल्यांकन (re-assessment) हो सकता है। जोखिम मूल्यांकन (risk assessment) के आधार पर मामलों का चयन किया जाएगा, और आवेदकों को दस कार्य दिवसों के भीतर अतिरिक्त दस्तावेज प्रदान करने की आवश्यकता हो सकती है, विशेषकर धनवापसी दावों (refund claims) के लिए। प्रभाव: यह सुधार एक विश्वास-आधारित सीमा शुल्क अनुपालन व्यवस्था (trust-based customs compliance regime) की ओर एक बदलाव का संकेत देता है। यह व्यवसायों को दंड कार्यवाही (penal proceedings) के तत्काल डर के बिना वास्तविक त्रुटियों को ठीक करने का अधिकार देता है, जिससे पारदर्शिता (transparency) मजबूत होती है और व्यापार विवादों (trade disputes) में संभावित कमी आती है। इससे भारत के सीमा शुल्क पारिस्थितिकी तंत्र (customs ecosystem) में विश्वास बढ़ने और व्यापार करने में आसानी (ease of doing business) में सुधार होने की उम्मीद है।