Economy
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1st November 2025, 11:21 AM
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वित्त मंत्रालय ने बताया कि अक्टूबर के लिए भारत का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) ग्रॉस कलेक्शन पिछले वर्ष की तुलना में 4.6% बढ़ा है। हालांकि, नेट कलेक्शन, जिसमें रिफंड का हिसाब होता है, लगभग सपाट रहा। यह संग्रह सितंबर की आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है। नेट ग्रोथ में सुस्ती का मुख्य कारण 22 सितंबर को प्रभावी हुई जीएसटी दर युक्तिकरण (rationalisation) है, जिसने उपभोक्ताओं को खरीद स्थगित करने के लिए प्रेरित किया। इसके अतिरिक्त, 'श्राद्ध' (एक अनुष्ठान अवधि) और त्योहारी सीजन की प्रत्याशा ने भी खर्च में देरी में योगदान दिया, जिससे घरेलू संग्रह प्रभावित हुआ। आयातित वस्तुओं से संग्रह बेहतर रहा, जिसने समग्र ग्रॉस आंकड़े को बढ़ाया। EY इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने उल्लेख किया कि धीमी गति का मुख्य कारण सितंबर के अंत में दर कटौती का प्रभाव और त्योहारों से पहले उपभोक्ता खर्च में देरी है, लेकिन उन्होंने मौसमी उछाल के कारण नवंबर में मजबूत संग्रह की आशा व्यक्त की। प्राइस वाटरहाउस एंड को LLP के पार्टनर प्रतीक जैन ने घरेलू जीएसटी संग्रह में मामूली वृद्धि को स्थिर मांग वृद्धि का संकेत माना। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी रिफंड में लगातार वृद्धि भविष्य के सकारात्मक संग्रह रुझानों में कर विभाग के विश्वास को दर्शाती है। टैक्स कनेक्ट के पार्टनर विवेक Jalan का मानना है कि नेट संग्रह में 0.6% की मामूली वृद्धि दर्शाती है कि बढ़ी हुई खपत ने दर कटौती से राजस्व हानि को कुछ हद तक ऑफसेट किया है।
**प्रभाव** यह खबर भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य, उपभोक्ता खर्च के पैटर्न और कर नीति परिवर्तनों की प्रभावशीलता में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह खपत-संबंधी क्षेत्रों और समग्र आर्थिक दृष्टिकोण (outlook) के संबंध में निवेशक भावना को प्रभावित कर सकती है। निर्यातक मुद्दों को हल करने और उलटे शुल्क ढांचे (inverted duty structure) को संबोधित करने की सरकार की प्रतिबद्धता व्यावसायिक विश्वास के लिए सकारात्मक है।