Economy
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2nd November 2025, 2:26 PM
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मई और सितंबर 2025 के बीच अमेरिका को भारत के निर्यात में 37.5% की भारी गिरावट देखी गई, जो 8.8 अरब डॉलर से घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। इस गंभीर गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि है, जो अप्रैल की शुरुआत में 10% से बढ़कर अगस्त के अंत तक 50% हो गया। टैरिफ-मुक्त उत्पादों में सबसे बड़ी 47% की गिरावट आई। स्मार्टफोन और फार्मास्यूटिकल्स सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए; स्मार्टफोन निर्यात 58% गिरकर मई में 2.29 अरब डॉलर से सितंबर में 884.6 मिलियन डॉलर हो गया। फार्मास्युटिकल निर्यात में 15.7% की कमी आई। अन्य प्रभावित क्षेत्रों में रत्न और आभूषण (59.5% की गिरावट), सौर पैनल (60.8% की गिरावट), और कपड़ा और कृषि-खाद्य जैसे श्रम-गहन क्षेत्र (33% की गिरावट) शामिल हैं। औद्योगिक धातु और ऑटो पार्ट्स में 16.7% की मामूली गिरावट देखी गई। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं को भी समान शुल्क का सामना करना पड़ा, लेकिन इस गिरावट का एक कारण अमेरिकी औद्योगिक गतिविधि में सुस्ती भी हो सकती है। हालांकि, चीन द्वारा कम टैरिफ लगाए जाने से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में तेज गिरावट आई है, जिससे थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों को खोए हुए ऑर्डर प्राप्त करने का मौका मिल रहा है। निर्यातक सरकार से तत्काल उपायों का आग्रह कर रहे हैं, जिनमें बढ़ी हुई ब्याज-समानता सहायता (interest-equalisation support), तेज शुल्क छूट (duty remission), और MSME निर्यातकों के लिए आपातकालीन ऋण लाइनें शामिल हैं, ताकि बाजार हिस्सेदारी का और नुकसान रोका जा सके। इस खबर का भारतीय निर्यात-उन्मुख व्यवसायों पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो भारत के व्यापार संतुलन, प्रभावित कंपनियों की कॉर्पोरेट आय और समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है। प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता का नुकसान एक दीर्घकालिक चुनौती पेश करता है। रेटिंग: 7/10।