Economy
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30th October 2025, 1:42 AM

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फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) भारतीय मिड-कैप स्टॉक्स के प्रति एक मजबूत झुकाव दिखा रहे हैं। वे इन शेयरों में महत्वपूर्ण मार्केट डायनामिज़्म, कैपिटल एफिशिएंसी और ग्रोथ पोटेंशियल को पहचान रहे हैं, जो अक्सर बड़ी कंपनियों की तुलना में अधिक होता है। मिड-कैप कंपनियाँ विशेष रूप से लार्ज-कैप्स की तुलना में उच्च अर्निंग ग्रोथ प्रदान करने की क्षमता रखती हैं, खासकर जब अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा हो। हालिया रिपोर्टों ने पुष्टि की है कि मिड-कैप सेगमेंट ने लार्ज-कैप्स की तुलना में काफी अधिक अर्निंग ग्रोथ दर्ज की है, जो कि FIIs के लिए बेहतर रिटर्न चाहने का एक प्रमुख कारक है। यह रणनीतिक बदलाव यह दर्शाता है कि FIIs अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला रहे हैं और मिड-कैप्स में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। वे संभवतः भीड़-भाड़ वाले लार्ज-कैप सेक्टरों से हट रहे हैं जहाँ वैल्यूएशन सीलिंग या साइक्लिकल स्लोडाउन का जोखिम हो सकता है। यह लेख कुछ ऐसे मिड-कैप स्टॉक्स को उजागर करता है जहाँ FIIs ने सितंबर 2025 की तिमाही के दौरान अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। उल्लेखनीय उदाहरणों में Ashapura Minechem शामिल है, जहाँ FII होल्डिंग्स 1.61% बढ़कर 18.02% हो गई; Skipper Ltd, जिसमें 1.13% की वृद्धि हुई और कुल 6.55% हो गई; और PCBL Chemical, जिसमें 0.55% की वृद्धि हुई और हिस्सेदारी 6.08% तक पहुँच गई।
प्रभाव: मिड-कैप स्टॉक्स में FIIs के इस बढ़े हुए निवेश का भारतीय शेयर बाज़ार, विशेषकर मिड-कैप सेगमेंट के लिए, एक महत्वपूर्ण सकारात्मक दृष्टिकोण है। इस तरह के निवेश से स्टॉक वैल्यूएशन बढ़ सकती है, लिक्विडिटी में सुधार हो सकता है, और इन कंपनियों के लिए समग्र निवेशक विश्वास को बढ़ावा मिल सकता है। यह मिड-कैप सेक्टर के लिए एक संभावित ऊपर की ओर रुझान को इंगित करता है, जो आगे चलकर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश को आकर्षित कर सकता है।