Economy
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2nd November 2025, 12:25 PM
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वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने विभिन्न सरकारी विभागों के साथ एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के संबंध में चर्चा शुरू की है, जो पर्याप्त विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत से निर्यात के लिए विशेष रूप से उत्पादों की अपनी इन्वेंट्री स्थापित करने और प्रबंधित करने की अनुमति दे सकता है। मौजूदा नियमों के तहत, विदेशी-निवेशित ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को भारतीय घरेलू बाजार के भीतर केवल मार्केटप्लेस के रूप में कार्य करने तक सीमित रखा गया है। उन्हें अपनी इन्वेंट्री रखने या अपने खाते पर सीधे माल बेचने से प्रतिबंधित किया गया है। प्रस्तावित नीतिगत बदलाव का उद्देश्य तेजी से बढ़ते वैश्विक ई-कॉमर्स निर्यात बाजार का लाभ उठाना है, जहां भारत की वर्तमान हिस्सेदारी कम है। अनुमान बताते हैं कि 2034 तक वैश्विक क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स बाजार 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जबकि भारत का लक्ष्य 2030 तक अपने ई-कॉमर्स निर्यात को 4-5 बिलियन डॉलर सालाना से बढ़ाकर 200-300 बिलियन डॉलर करना है। चीन वर्तमान में 250 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ इस सेगमेंट में अग्रणी है। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से छोटे घरेलू खुदरा विक्रेताओं पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसका ध्यान निर्यात पर है, जिससे भारतीय बाजार के भीतर सीधा मुकाबला टाला जा सकेगा। हस्तशिल्प, परिधान, आभूषण और घर की सजावट जैसे उत्पादों में ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से उच्च निर्यात क्षमता की पहचान की गई है। प्रभाव: इस नीतिगत बदलाव से भारत की विदेशी मुद्रा आय में काफी वृद्धि हो सकती है, निर्यात का समर्थन करने वाले लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्रों में नए अवसर पैदा हो सकते हैं, और भारतीय व्यवसायों को बेहतर ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से व्यापक वैश्विक ग्राहक आधार तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। नीति विकास में सरकार का सक्रिय रुख भारत को वैश्विक डिजिटल व्यापार में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने की स्थिति में रखता है।