Economy
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31st October 2025, 1:50 AM

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वरिष्ठ उद्योग जगत के नेताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि प्राइवेट इक्विटी (PE) फर्म्स अब भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की प्रमुख योगदानकर्ता हैं और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, भारत PE के लिए एक अपर्याप्त रूप से पैठ वाला बाज़ार बना हुआ है। यह विकास की दिशा, परिपक्व हो रहे इकोसिस्टम और बेहतर एग्जिट (exit) के अवसरों, जैसे कि इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स (IPOs) और स्पॉन्सर-टू-स्पॉन्सर डील्स, के साथ मिलकर भारत को PE की मांग के लिए एक प्रमुख वैश्विक चालक बना रही है। उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि PE ने ऐतिहासिक रूप से सार्वजनिक बाज़ारों को पीछे छोड़ा है और भारत में यह पारंपरिक बैंकिंग और बीमा से आगे बढ़कर एक मुख्यधारा का निवेश क्षेत्र बनता जा रहा है। अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs), जिसमें PE भी शामिल है, में अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों (ultra-HNIs) और पारिवारिक कार्यालयों (family offices) से निवेश आने वाले वर्षों में दोगुना होने की उम्मीद है। वैश्विक निवेशकों का ध्यान कहीं और बाज़ार की अनिश्चितताओं के कारण एशिया और भारत की ओर स्थानांतरित हो रहा है, जिससे भारत की विकास के लिए एक उज्ज्वल स्थान के रूप में स्थिति मजबूत हो रही है। प्रभाव: इस बढ़ते प्राइवेट इक्विटी निवेश के रुझान से भारत की आर्थिक वृद्धि को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि व्यवसायों में पूंजी निवेशित होगी, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और पर्याप्त रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, IPOs जैसे मजबूत एग्जिट बाज़ार तरलता और निवेशक विश्वास को बढ़ाते हैं, जो वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करते हैं।