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AI स्टॉक में आई तेजी अब 'डाइजेशन फेज' में; भारत एक मजबूत निवेश विकल्प के रूप में देखा जा रहा है

Economy

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Updated on 07 Nov 2025, 04:48 am

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Reviewed By

Satyam Jha | Whalesbook News Team

Short Description:

मार्केट कमेंटेटर प्रशांत पारोडा का सुझाव है कि वैश्विक AI स्टॉक रैली डाइजेशन फेज में प्रवेश कर रही है क्योंकि निवेशक मूल्यांकन का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। वे अमेरिकी बाजार की घबराहट को K-shaped economy, कमजोर रोजगार वृद्धि और सरकारी शटडाउन की अनिश्चितता से जोड़ते हैं। पारोडा भारत को वैश्विक पूंजी के लिए एक आकर्षक earnings growth story के रूप में उजागर करते हैं जो AI से स्वतंत्र विकल्प तलाश रही है। वह उच्च IPO वैल्यूएशन पर सावधानी बरतने, सेकेंडरी मार्केट को प्राथमिकता देने और हाल ही में सूचीबद्ध new age की टेक फर्मों के लिए धैर्य रखने की सलाह देते हैं।

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Detailed Coverage:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टॉक्स में आई वैश्विक तेजी 'डाइजेशन फेज' में बदल रही है, ऐसा मार्केट कमेंटेटर प्रशांत पारोडा का कहना है। उनका संकेत है कि कुछ AI-केंद्रित कंपनियों के शेयर की कीमतों में उनके वित्तीय प्रदर्शन की तुलना में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे निवेशकों को अपनी अपेक्षाओं को फिर से कैलिब्रेट करना पड़ रहा है।

पारोडा हालिया अमेरिकी टेक्नोलॉजी स्टॉक्स की बिकवाली को व्यापक आर्थिक चिंताओं से जोड़ते हैं, अमेरिका को K-shaped economy बताते हैं जहाँ AI पर इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च मजबूत है, लेकिन रोज़गार वृद्धि धीमी बनी हुई है। वह संभावित अमेरिकी सरकारी शटडाउन के आसपास की अनिश्चितता को भी बाजार की घबराहट में योगदान देने वाला कारक बताते हैं। हालांकि, उनका मानना है कि शटडाउन का समाधान साल के अंत तक 'Santa rally' को उत्प्रेरित कर सकता है, खासकर जैसे-जैसे अधिक विश्वसनीय आर्थिक डेटा सामने आएगा।

इसके विपरीत, पारोडा भारत को एक महत्वपूर्ण निवेश अवसर के रूप में देखते हैं, जिसे वे एक earnings growth story कहते हैं जिसे प्रदर्शन करने के लिए AI kicker की आवश्यकता नहीं है। उनका सुझाव है कि जैसे-जैसे वैश्विक निवेशक AI ट्रेड को पचाएंगे, पूंजी भारत वापस आ सकती है। उनका मानना है कि जैसे-जैसे वर्तमान AI कमाई का नैरेटिव परिपक्व होगा, भारत 'non-consensus AI' प्ले बन सकता है।

भारत के भीतर निवेश रणनीति के संबंध में, पारोडा प्राइमरी मार्केट की तुलना में सेकेंडरी मार्केट को प्राथमिकता देते हैं। IPOs का समर्थन करने वाले मजबूत घरेलू लिक्विडिटी को स्वीकार करते हुए, वह आगाह करते हैं कि कई इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPOs) की कीमतें बहुत अधिक हैं। वह बताते हैं कि पिछले वर्षों में देखी गई महत्वपूर्ण 'first day pop' में कमी आई है, जिससे नए निवेशकों के लिए तत्काल मूल्य कम हो गया है। हाल ही में सूचीबद्ध हुई 'new age' टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए, वह धैर्य रखने की सलाह देते हैं, यह सुझाव देते हुए कि निवेशक उन्हें अगले वर्ष सार्वजनिक बाजार की स्थितियों के अनुकूल होने की प्रतीक्षा करें।

**प्रभाव**: इस खबर से यह संकेत मिलता है कि वैश्विक निवेश प्रवाह AI जैसे अत्यधिक प्रचारित क्षेत्रों से भारत जैसे मौलिक रूप से संचालित बाजारों की ओर संभावित रूप से स्थानांतरित हो सकता है, जो भारतीय इक्विटी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अमेरिकी आर्थिक स्वास्थ्य पर टिप्पणी वैश्विक बाजार की भावना के लिए भी संदर्भ प्रदान करती है। IPOs बनाम सेकेंडरी मार्केट पर सलाह भारतीय निवेशकों के लिए सीधे तौर पर प्रासंगिक है।


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