भारतीय कंपनियों (India Inc) द्वारा विदेशी मुद्रा ऋण (foreign currency debt) में अपने अनहेच्ड (unhedged) एक्सपोज़र को सक्रिय रूप से कम किया जा रहा है, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों से पता चलता है। रुपये में तेज गिरावट के बीच यह सक्रिय कदम कंपनियों के लिए बढ़ी हुई चुकौती लागत के प्रभाव को कम कर सकता है। भले ही रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है, लेकिन कॉर्पोरेशन मुद्रा अस्थिरता (currency volatility) को प्रबंधित करने के लिए अतीत की तुलना में बेहतर तैयार दिख रहे हैं।