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RBI का बहुत बड़ा ऐलान: निर्यातकों को भुगतान के लिए मिलेंगे 15 महीने और आसान होंगे लोन!

Economy

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Updated on 14th November 2025, 8:47 PM

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Author

Simar Singh | Whalesbook News Team

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Crux:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निर्यातकों के लिए भुगतान प्राप्त करने की समय-सीमा को नौ महीने से बढ़ाकर 15 महीने कर दिया है और ऋण शर्तों को भी आसान बनाया है। इसमें प्रभावित फर्मों के लिए ऋण किस्तों और ब्याज पर चार महीने की मोहलत (moratorium) देना और व्यापार ऋण (trade credit) के लिए विस्तारित पुनर्भुगतान अवधि की अनुमति देना शामिल है, जिसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार व्यवधानों का सामना कर रहे व्यवसायों का समर्थन करना है।

RBI का बहुत बड़ा ऐलान: निर्यातकों को भुगतान के लिए मिलेंगे 15 महीने और आसान होंगे लोन!

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Detailed Coverage:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने निर्यातकों को वैश्विक व्यापार चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए नियमों को काफी आसान बना दिया है। निर्यात आय को भुनाने की समय-सीमा नौ महीने से बढ़ाकर 15 महीने कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, विदेशी खरीदारों से अग्रिम भुगतान (advance payments) निपटाने की अंतिम तिथि अब एक साल के बजाय तीन साल हो गई है।

ऋण राहत: ऋणदाताओं को प्रभावित निर्यातकों का समर्थन करने का निर्देश दिया गया है। पात्र फर्मों को 1 सितंबर से 31 दिसंबर 2023 तक ऋण किस्तों और ब्याज पर चार महीने की मोहलत (moratorium) मिल सकती है। इस अवधि के दौरान ब्याज साधारण ब्याज (simple interest) होगा, और मोहलत राशि का पुनर्भुगतान अप्रैल 2026 और सितंबर 2026 के बीच किया जा सकता है। बैंक पूर्व-शिपमेंट (pre-shipment) और पश्च-शिपमेंट (post-shipment) क्रेडिट के पुनर्भुगतान के लिए 450 दिनों तक की अनुमति भी दे सकते हैं। ये रियायतें अल्पावधि के व्यापार व्यवधानों को चूक (defaults) बनने से रोकने, निर्यातक के नकदी प्रवाह (cash flows) में सुधार करने और ऋणदाताओं को साख अनुशासन (credit discipline) से समझौता किए बिना व्यवहार्य व्यवसायों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। RBI ने स्पष्ट किया है कि इन उपायों को ऋण पुनर्गठन (loan restructuring) नहीं माना जाएगा और ये उधारकर्ताओं की क्रेडिट हिस्ट्री को प्रभावित नहीं करेंगे। बैंकों को इन खातों के मुकाबले 5% का सामान्य प्रावधान (general provision) बनाए रखना होगा।

प्रभाव: 7/10। यह नीतिगत बदलाव निर्यात क्षेत्र के लिए पर्याप्त राहत प्रदान करता है, जिससे निर्यात कंपनियों की तरलता (liquidity) में सुधार और वित्तीय तनाव कम होने की उम्मीद है, जो भारत के व्यापार प्रदर्शन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा।

कठिन शब्दावली: Fema: विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन को नियंत्रित करने वाला कानून। Moratorium: ऋण भुगतान का एक अस्थायी निलंबन। Simple Interest: केवल मूलधन पर गणना किया गया ब्याज। Pre-shipment Credit: माल के शिपमेंट से पहले उत्पादन के लिए ऋण। Post-shipment Credit: माल शिपमेंट के बाद भुगतान प्राप्त होने तक निर्यातकों के लिए ऋण। Working Capital: दैनिक व्यावसायिक संचालन के लिए धन। Drawing Power: कार्यशील पूंजी सुविधा से निकाली जा सकने वाली अधिकतम राशि। Prudential Buffer: अप्रत्याशित नुकसान को अवशोषित करने के लिए वित्तीय संस्थानों द्वारा रखा गया एक रिजर्व।


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