भारत के नए श्रम कानूनों के अनुसार, मूल वेतन और महंगाई भत्ता कुल भुगतान का कम से कम 50% होना चाहिए, जिससे कर्मचारियों का वेतन खर्च और सामाजिक सुरक्षा योगदान बढ़ सकता है। इस बदलाव से स्टार्टअप, आईटी फर्मों और गिग इकॉनमी नियोक्ताओं पर असर पड़ने की उम्मीद है, और एक राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी भी स्थापित की जाएगी, जो पूरे देश में वेतन स्तर को प्रभावित करेगी।