भारत के नए श्रम संहिता (लेबर कोड्स) ने 29 कानूनों को 4 में समेकित किया है, जिसका लक्ष्य गिग इकोनॉमी को औपचारिक बनाना और लाखों लोगों को सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करना है। हालांकि, जोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म्स को अनिवार्य अंशदान और ओवरटाइम भुगतान के कारण सालाना अनुमानित ₹1,500 करोड़ की अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ेगा, जो लाभप्रदता और सेवा मूल्य को प्रभावित कर सकता है।