भारत का छिपा हुआ सोना: खरबों को अनलॉक करने के लिए विशेषज्ञ ने सुझाया 'आउट-ऑफ-द-बॉक्स' बजट प्लान!
Overview
अनुभवी फंड मैनेजर नीलेश शाह (कोटक महिंद्रा एएमसी) ने सुझाव दिया है कि आगामी भारतीय बजट में, घरों में रखे सोने और चांदी के विशाल भंडार को 'मोनेटाइज' किया जा सकता है। इसका लक्ष्य निवेश, खपत को बढ़ावा देना, सरकारी राजस्व बढ़ाना और राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करना है, साथ ही 8वें वेतन आयोग के वित्तीय निहितार्थों पर भी विचार किया जाएगा।
अनुभवी फंड मैनेजर नीलेश शाह ने आगामी बजट में विचार के लिए भारतीय सरकार के सामने एक अभिनव प्रस्ताव रखा है। उनका सुझाव है कि भारतीय घरों में रखे सोने और चांदी की भारी मात्रा को 'मोनेटाइज' किया जा सकता है – यानी मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में लाकर – निवेश, उपभोग को बढ़ावा देने और सार्वजनिक धन उत्पन्न करने के लिए। यह सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
घरेलू धन को अनलॉक करना
शाह, जो कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ हैं, ने बताया कि शेयर बाजार में तेज़ी से 'धन प्रभाव' (wealth effect) पैदा होता है, लेकिन हाल ही में सोने और चांदी की कीमतों में आई भारी तेज़ी का दृश्यमान आर्थिक गतिविधि में अनुवाद नहीं हुआ है। उन्होंने नोट किया कि यह धन अक्सर घरों की 'तिजोरियों' में बंद रहता है और 'समानांतर अर्थव्यवस्था' का हिस्सा होता है, जिसका अर्थ है कि यह आधिकारिक तौर पर दर्ज या उपयोग नहीं किया जाता है।
- नीलेश शाह ने सरकार के लिए इस निष्क्रिय सोने और चांदी को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने हेतु एक 'आउट-ऑफ-द-बॉक्स' रणनीति का प्रस्ताव दिया है।
- यह सरकारी राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है और उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसा डाल सकता है।
- यह कदम निवेश और खर्च को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को आवश्यक बढ़ावा मिलेगा।
8वां वेतन आयोग की चुनौती
बजट योजना में एक और जटिलता जोड़ते हुए, 8वां वेतन आयोग औपचारिक रूप से स्थापित हो गया है। इस आयोग के पास केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन में संशोधन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 18 महीने की समय सीमा है, जिससे भविष्य में काफी अधिक वेतन मिल सकता है।
- 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन से सरकारी व्यय में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- आगामी बजट में इन उच्च वेतनों के लिए प्रावधान करने से घाटा शुरू में वादा किए गए से बड़ा हो सकता है।
- इसके लिए अधिक संसाधनों को जुटाने की आवश्यकता है, जिससे शाह का सोने के मुद्रीकरण का विचार संभावित रूप से अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
राजकोषीय विवेक और कर्मचारी कल्याण का संतुलन
शाह ने सरकार की दोहरी प्रतिबद्धता पर जोर दिया: राजकोषीय विवेक बनाए रखना और 8वें वेतन आयोग के वित्तीय प्रभाव के लिए तैयार रहना।
- उन्हें उम्मीद है कि बजट राजकोषीय अनुशासन बनाए रखते हुए सोने और चांदी की संपत्तियों को 'डीफ्रीज' करने का एक तरीका खोजेगा।
- चुनौती यह है कि वेतन आयोग की सिफारिशों को राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को खतरे में डाले बिना लागू किया जाए।
संभावित आर्थिक बढ़ावा
घरेलू सोने और चांदी का मुद्रीकरण एक सद्गुणी चक्र बना सकता है, जो अर्थव्यवस्था में तरलता का संचार करेगा और विकास को बढ़ावा देगा।
- उपभोक्ता खर्च शक्ति में वृद्धि।
- उत्पादक संपत्तियों में निवेश के अधिक अवसर।
- सरकारी वित्त में मजबूती, जो बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण और बुनियादी ढांचा विकास को सक्षम करेगा।
प्रभाव
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह विशाल निष्क्रिय संपत्तियों को अनलॉक करके भारत की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा दे सकता है। इससे उपभोक्ता खर्च, निवेश और सरकारी वित्त में वृद्धि हो सकती है। स्टॉक मार्केट पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि और बेहतर राजकोषीय स्वास्थ्य से प्रेरित होगा। हालांकि, सफलता प्रभावी नीति डिजाइन और सार्वजनिक भागीदारी पर निर्भर करती है। 8वें वेतन आयोग के निहितार्थ राजकोषीय प्रबंधन पर दबाव डालते हैं।
Impact Rating: 7/10
कठिन शब्दों की व्याख्या
- मोनेटाइज (Monetised): सोने या चांदी जैसी संपत्ति को पैसे में बदलना या राजस्व उत्पन्न करने के लिए उपयोग करना।
- राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): सरकार के कुल व्यय और उसके कुल राजस्व (उधार को छोड़कर) के बीच का अंतर।
- उपभोग (Consumption): वस्तुओं और सेवाओं पर धन खर्च करना।
- 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission): भारतीय सरकार द्वारा समय-समय पर स्थापित एक समिति जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की वेतन संरचना, भत्तों और लाभों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करती है।
- समानांतर अर्थव्यवस्था (Parallel Economy): आर्थिक गतिविधियाँ जो आधिकारिक तौर पर दर्ज नहीं की जाती हैं या उन पर कर नहीं लगता है, अक्सर नकद लेनदेन में शामिल होती हैं।
- तिजोड़ियाँ (Tijoris): तिजोरियों या मजबूत बक्सों के लिए भारतीय शब्द, जिनका उपयोग आमतौर पर सोना और गहने जैसी कीमती वस्तुओं को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
- धन प्रभाव (Wealth Effect): वह घटना जहाँ लोग अधिक खर्च करते हैं जब उन्हें लगता है कि उनकी संपत्तियों (जैसे स्टॉक, संपत्ति, या सोना) का मूल्य बढ़ गया है।

