भारतीय बैंक और सरकारी कंपनियाँ बॉन्ड बिक्री के ज़रिए तेज़ी से 3.5 अरब डॉलर तक जुटा रही हैं। भारत के जीडीपी डेटा की घोषणा और एक प्रमुख मौद्रिक नीति निर्णय से पहले हो रही इस दौड़ का मुख्य कारण यह चिंता है कि ब्याज दरें कम नहीं की जा सकतीं। कंपनियाँ संभावित दर वृद्धि से पहले अपनी उधार लागत सुरक्षित कर रही हैं, क्योंकि बाज़ार के संकेत कटौती के बजाय यथास्थिति का सुझाव दे रहे हैं।