भारत के नए श्रम संहिताएं (Labour Codes), जो 21 नवंबर से प्रभावी हैं, 29 पुराने कानूनों को सुव्यवस्थित कर रही हैं। एक बड़ा बदलाव ग्रेच्युइटी की पात्रता को प्रभावित करता है: फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों (FTEs) को अब केवल एक साल की सेवा के बाद ग्रेच्युइटी का दावा करने का अधिकार होगा, अनुबंध की अवधि की परवाह किए बिना। स्थायी कर्मचारियों के लिए पांच साल की पात्रता अपरिवर्तित है। गणना का सूत्र वही रहता है, लेकिन 'वेतन' (wages) की व्यापक परिभाषा से नियोक्ता की लागत बढ़ सकती है।