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पतंजलि का 'धोखा' च्यवनप्राश विज्ञापन BANNED! दिल्ली हाई कोर्ट ने डाबर इंडिया के पक्ष में सुनाया फैसला!

Consumer Products

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Updated on 11 Nov 2025, 05:45 am

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Reviewed By

Satyam Jha | Whalesbook News Team

Short Description:

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और पतंजलि फूड्स को अस्थायी रूप से उनके उस विज्ञापन को चलाने से रोक दिया है, जिसमें प्रतिद्वंद्वी च्यवनप्राश उत्पादों को "धोखा" (कपट) बताया गया था। यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर याचिका के बाद आया, जिसमें तर्क दिया गया था कि विज्ञापन ने उनके लोकप्रिय डाबर च्यवनप्राश और आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन की व्यापक श्रेणी को बदनाम किया था। अदालत ने पाया कि विज्ञापन प्रथम दृष्टया वाणिज्यिक बदनामी (commercial disparagement) का गठन करता है, जो स्वीकार्य विज्ञापन दावों से परे है।
पतंजलि का 'धोखा' च्यवनप्राश विज्ञापन BANNED! दिल्ली हाई कोर्ट ने डाबर इंडिया के पक्ष में सुनाया फैसला!

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Stocks Mentioned:

Dabur India Limited
Patanjali Foods Limited

Detailed Coverage:

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजली आयुर्वेद लिमिटेड और पतंजली फूड्स लिमिटेड पर एक अंतरिम निषेधाज्ञा (interim injunction) जारी की है, जिससे उन्हें ऐसे विज्ञापन प्रसारित या प्रकाशित करने से रोका जा सके जो अन्य च्यवनप्राश उत्पादों को "धोखा" (कपट) बताते हैं। यह महत्वपूर्ण फैसला डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर मुकदमे से उपजा है, जिसमें यह तर्क दिया गया था कि पतंजली के वाणिज्यिक ने उसके प्रमुख डाबर च्यवनप्राश और समान आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन के संपूर्ण खंड को अनुचित रूप से बदनाम किया था।

मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति तेजस करिया ने नोट किया कि विज्ञापन में डाबर सहित सभी प्रतिस्पर्धी च्यवनप्राश ब्रांडों, जिनका बाजार में महत्वपूर्ण हिस्सा है, को सार्वभौमिक रूप से बदनाम किया गया था। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि सभी अन्य च्यवनप्राश को "धोखा" या कपट कहना वाणिज्यिक बदनामी है और यह स्वीकार्य नहीं है, यहां तक कि रचनात्मक स्वतंत्रता के साथ भी। पतंजली का यह बचाव कि विज्ञापन केवल "बड़ाई और अतिशयोक्ति" (puffery and hyperbole) था, खारिज कर दिया गया, क्योंकि अदालत ने स्वीकार किया कि इस तरह की सामान्य बदनामी बाजार के नेताओं को नुकसान पहुंचाती है और अनुचित प्रतिस्पर्धा का गठन करती है। परिणामस्वरूप, पतंजली को विज्ञापन प्रसारित करना बंद करने और इसे 72 घंटे के भीतर सभी डिजिटल प्लेटफार्मों, जिनमें यूट्यूब और इंस्टाग्राम शामिल हैं, से हटाने का आदेश दिया गया है। अगली सुनवाई 26 फरवरी 2026 को निर्धारित है।

प्रभाव: डाबर इंडिया के लिए यह कानूनी जीत उसके बाजार विश्वास को बढ़ा सकती है और भविष्य में पतंजली की विज्ञापन रणनीतियों को प्रभावित कर सकती है। यह एफएमसीजी क्षेत्र में तुलनात्मक विज्ञापन और उत्पाद बदनामी के संबंध में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए एक मिसाल कायम करता है। उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र के निवेशकों को इन प्रतिस्पर्धी गतिशीलता के विकसित होने पर नजर रखनी चाहिए। Rating: 6/10

कठिन शब्दावली: * **च्यवनप्राश**: एक पारंपरिक आयुर्वेदिक हर्बल जैम या पेस्ट, जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। * **वाणिज्यिक बदनामी (Commercial Disparagement)**: किसी व्यवसाय या उसके उत्पादों की प्रतिष्ठा को झूठे या भ्रामक बयान देकर नुकसान पहुंचाने का कार्य। * **बड़ाई और अतिशयोक्ति (Puffery)**: विज्ञापन में किए गए अतिरंजित दावे, जिन्हें आम तौर पर तथ्य के बजाय राय माना जाता है और जो कानूनी रूप से कार्रवाई योग्य नहीं होते। * **तुलनात्मक विज्ञापन (Comparative Advertising)**: वह विज्ञापन जो एक ब्रांड या उत्पाद की दूसरे से तुलना करता है। * **अंतरिम निषेधाज्ञा (Interim Injunction)**: किसी मामले के अंतिम निर्धारण से पहले, किसी पक्ष को होने वाली अपूरणीय क्षति को रोकने के लिए अदालत द्वारा जारी एक अस्थायी आदेश। * **प्रथम दृष्टया मामला (Prima Facie Case)**: एक ऐसा मामला जिसमें मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हों, पहली नज़र में सच प्रतीत हो। * **आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन (Ayurvedic Formulations)**: प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद पर आधारित उत्पाद या तैयारी।


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