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भारत के रेगुलेटर बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेड करने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं, बाजार की तरलता (Liquidity) बढ़ाने के लिए।

Commodities

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Updated on 07 Nov 2025, 06:22 am

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Reviewed By

Aditi Singh | Whalesbook News Team

Short Description:

भारत के प्रतिभूति नियामक, सेबी (SEBI) और केंद्रीय बैंक, आरबीआई (RBI), वाणिज्यिक बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में भाग लेने की अनुमति देने के एक महत्वपूर्ण कदम पर विचार कर रहे हैं। इसका मुख्य लक्ष्य भारत के कमोडिटी बाजारों में आवश्यक तरलता (liquidity) डालना है, जो अक्सर कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और सट्टेबाजी (speculation) की चिंताओं से ग्रस्त रहते हैं। इस पहल का उद्देश्य बाजार की गहराई (market depth) को बढ़ाना और भारत को वैश्विक मूल्य-निर्धारण ('price taker') पर कम निर्भर बनाना है।
भारत के रेगुलेटर बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेड करने की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं, बाजार की तरलता (Liquidity) बढ़ाने के लिए।

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Detailed Coverage:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ मिलकर, वाणिज्यिक बैंकों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स का व्यापार करने की संभावना सक्रिय रूप से तलाश रहा है। यह संभावित नियामक बदलाव सेबी के इस उद्देश्य से प्रेरित है कि भारत के एक्सचेंज-ट्रेडेड कमोडिटीज डेरिवेटिव्स बाजार में तरलता (liquidity) को गहरा किया जाए, जो अक्सर कम ट्रेडिंग वॉल्यूम से जूझता है और सट्टेबाजी (speculative) के मुद्दों के प्रति प्रवण होता है जिससे अनुबंधों पर प्रतिबंध लग जाता है, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के लिए। सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे ने एक उद्योग कार्यक्रम में कहा कि नियामक वित्तीय संस्थानों के लिए इस बाजार में विवेकपूर्ण पहुंच ('prudential access') के लिए एक ढांचा स्थापित करने हेतु आरबीआई के साथ सहयोग करेगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत, वस्तुओं का एक बड़ा उपभोक्ता होने के बावजूद, वर्तमान में एक 'मूल्य लेने वाला' ('price taker') के रूप में काम करता है और उसे अपनी बाजार गहराई (market depth) में सुधार करने की आवश्यकता है। यह कदम आरबीआई के हालिया प्रयासों के अनुरूप है जिसमें उसने ऋणदाताओं को अधिक लचीलापन (flexibility) दिया है, जैसे कि विलय और अधिग्रहण (mergers and acquisitions) को वित्तपोषित करने की अनुमति देना। एक अधिक तरल (liquid) कमोडिटीज डेरिवेटिव्स बाजार से उच्च-आवृत्ति ट्रेडिंग फर्मों ('high-frequency trading firms') को आकर्षित करने की भी उम्मीद है, जिसमें सिटाडेल सिक्योरिटीज एलएलसी (Citadel Securities LLC) जैसी संस्थाएं भारत के कमोडिटी बाजारों में उनके जबरदस्त विकास क्षमता के कारण प्रवेश पर विचार कर रही हैं। प्रभाव: इस विकास से भारतीय कमोडिटीज क्षेत्र में संस्थागत भागीदारी ('institutional participation') में वृद्धि, अधिक ट्रेडिंग गतिविधि, बेहतर मूल्य खोज ('price discovery') और बढ़ी हुई बाजार दक्षता ('market efficiency') हो सकती है। यह बैंकों को पूंजी नियोजन ('capital deployment') और लाभ सृजन ('profit generation') के नए रास्ते प्रदान करता है। रेटिंग: 7/10। कठिन शब्द: कमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity Derivatives), तरलता (Liquidity), परिसंपत्ति वर्ग (Asset Class), विवेकपूर्ण पहुंच (Prudential Access), सट्टेबाजी (Speculation), मूल्य लेने वाला (Price Taker)।


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