Commodities
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Updated on 10 Nov 2025, 12:42 am
Reviewed By
Satyam Jha | Whalesbook News Team
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भारत सरकार 1966 के गन्ना (नियंत्रण) आदेश की समीक्षा कर रही है, जो देश के विशाल गन्ना उद्योग को छह दशकों से अधिक समय से नियंत्रित कर रहा है। इस आधुनिकीकरण प्रयास का उद्देश्य पुरानी हो चुकी नियामकताओं को दूर करना और लाखों गन्ना किसानों की आय को संभावित रूप से बढ़ाना है।
वर्तमान में, उचित और लाभकारी मूल्य (FRP), जो न्यूनतम मूल्य है जिसका भुगतान चीनी मिलों को किसानों को करना पड़ता है, मुख्य रूप से चीनी की कीमतों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, चीनी उद्योग काफी विविध हो गया है, जिसमें इथेनॉल, बिजली, शीरा, बगास और बायो-सीएनजी जैसे मूल्यवान उप-उत्पाद बनते हैं। मौजूदा आदेश इन अतिरिक्त स्रोतों से उत्पन्न राजस्व को ध्यान में रखने में विफल रहता है, जिससे किसानों को मिलने वाले लाभ सीमित हो जाते हैं।
प्रस्तावित मसौदा आदेश सभी गन्ना-आधारित उत्पादों से प्राप्त कुल राजस्व से FRP को जोड़कर इसे ठीक करने का प्रयास करता है। इस मूल्य निर्धारण सुधार से किसानों को उद्योग के मुनाफे का अधिक उचित हिस्सा मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, नए नियम किसानों को बकाया राशि का तेजी से भुगतान करने का प्रस्ताव करते हैं, जिसमें गन्ने की खरीद के 14 दिनों के भीतर भुगतान अनिवार्य होगा, जो वर्तमान प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण सुधार है।
इस समीक्षा में चीनी कारखानों के बीच 15-किमी की न्यूनतम दूरी के नियम पर पुनर्विचार करना भी शामिल है, जो उस समय का एक नियम था जब उद्योग कम विकसित था। इस नियम को हटाने से प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सकता है और अधिक मिलों को स्थापित करने की अनुमति मिल सकती है, खासकर गन्ना-समृद्ध क्षेत्रों में, जिससे दक्षता और किसानों के लिए पहुंच बढ़ सकती है। यह उम्मीद की जाती है कि इन परिवर्तनों से परिभाषाएँ सरल होंगी, प्रावधान स्पष्ट होंगे, और भारत के ₹1.3 ट्रिलियन चीनी क्षेत्र की वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी, जिससे खुदरा चीनी की कीमतों में भी स्थिरता आ सकती है।
Heading: प्रभाव (Impact) इस खबर का भारतीय गन्ना किसानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे उनकी आय क्षमता बढ़ेगी और समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा। चीनी मिलों को परिचालन मॉडल और राजस्व-साझेदारी में बदलाव दिख सकते हैं। उपभोक्ताओं को चीनी की स्थिर कीमतों से लाभ हो सकता है, और समग्र रूप से भारतीय चीनी उद्योग वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकता है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में राजनीतिक परिदृश्य भी प्रभावित होने की संभावना है।
Impact Rating: 7/10
Heading: कठिन शब्दों की व्याख्या (Difficult Terms Explained) * **उचित और लाभकारी मूल्य (FRP)**: न्यूनतम मूल्य जो चीनी मिलों को कानूनी रूप से किसानों को उनके उत्पाद के लिए भुगतान करना आवश्यक है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया है। * **राज्य सलाह मूल्य (SAP)**: गन्ने के लिए एक उच्च मूल्य जो कुछ राज्य सरकारें FRP के अतिरिक्त अनुशंसित करती हैं, जो अक्सर उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पाया जाता है। * **बगास (Bagasse)**: गन्ने के डंठलों को कुचलकर उनका रस निकालने के बाद बचा हुआ सूखा रेशेदार अवशेष, जिसका उपयोग अक्सर चीनी मिलों में ईंधन के रूप में किया जाता है। * **बायो-सीएनजी (Bio-CNG)**: बायोगैस जिसे प्राकृतिक गैस की गुणवत्ता से मेल खाने के लिए शुद्ध किया गया है, जो अक्सर कृषि अपशिष्ट या अन्य जैविक पदार्थ से उत्पादित होती है। * **सहकारी मिलें (Cooperative Mills)**: किसानों के समूह (सहकारी समितियों) द्वारा संचालित और संचालित चीनी मिलें, जो गन्ने के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता भी होते हैं। * **निजी मिलें (Private Mills)**: निजी व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा संचालित और संचालित चीनी मिलें। * **सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने (Public Sector Factories)**: सरकार द्वारा संचालित और संचालित चीनी मिलें। * **गन्ना रिकवरी दर (Sugarcane Recovery Rate)**: गन्ने की दी गई मात्रा से निकाली जा सकने वाली चीनी का प्रतिशत। * **क्विंटल (Quintal)**: वजन की एक इकाई, जो आमतौर पर 100 किलोग्राम के बराबर होती है।