Banking/Finance
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Updated on 14th November 2025, 3:57 PM
Author
Simar Singh | Whalesbook News Team
यूबीएस इंडिया कॉन्फ्रेंस में भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए काफी आशावाद दिखा, जिसमें ऋण वृद्धि में सुधार, क्रेडिट लागतों का स्थिरीकरण और नेट इंटरेस्ट मार्जिन का बॉटम आउट होना नज़र आया। पावर और रिन्यूएबल्स कैपिटल एक्सपेंडिचर भी एक मजबूत मल्टी-ईयर थीम के तौर पर उभरा, जिससे इन सेक्टर्स के लिए सकारात्मक भावना और मजबूत हुई।
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हाल ही में हुई UBS इंडिया कॉन्फ्रेंस में सेंटिमेंट में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला, जिसमें भारत का वित्तीय क्षेत्र सबसे खास थीम रहा। गौतम छावड़िया, हेड ऑफ ग्लोबल मार्केट्स एंड इंडिया एट यूबीएस ने बताया कि कंपनियों और निवेशकों दोनों तरफ से आशावाद दिख रहा था, जो पिछले 6 महीनों की तुलना में एक सकारात्मक बदलाव है। बैंकों और एनबीएफसी (NBFCs) के लिए महत्वपूर्ण संकेतक सुधार के शुरुआती संकेत दे रहे हैं: ऋण वृद्धि (loan growth) बढ़ रही है, क्रेडिट लागतें (credit costs) स्थिर हो रही हैं, और नेट इंटरेस्ट मार्जिन (net interest margins - NIMs) बॉटम आउट हो रहे हैं। जबकि यूबीएस विश्लेषकों ने अभी तक कमाई के अनुमानों (earnings estimates) को अपग्रेड नहीं किया है, आने वाले डेटा पॉइंट रचनात्मक हैं, जो सुधरती गति का संकेत देते हैं। वित्तीय क्षेत्र के अलावा, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा (power and renewables) में पूंजीगत व्यय (capital expenditure) एक मजबूत, बहु-वर्षीय थीम बना हुआ है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) में काफी गतिविधि चल रही है, जो अगले तीन से पांच वर्षों में बाजारों को आश्चर्यचकित कर सकता है। उपभोग के रुझान (Consumption trends) मिले-जुले रहे, जिनमें आभूषण (jewellery) जैसे कुछ क्षेत्रों में मजबूती दिखी।