Banking/Finance
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Updated on 30 Oct 2025, 11:22 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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डेबिट कार्ड, जो कभी भारतीय उपभोक्ताओं के लिए व्यापारी आउटलेट्स पर प्राथमिक भुगतान साधन थे, तेजी से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से पिछड़ रहे हैं। वर्ल्डलाइन इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड का उपयोग लगभग 8% साल-दर-साल (year-on-year) कम हो गया है। इस प्रवृत्ति का मुख्य कारण यूपीआई का बढ़ता प्रभुत्व है, खासकर किराने के सामान और उपयोगिता बिलों जैसी छोटी, रोजमर्रा की खरीदारी के लिए, जिसने प्रभावी ढंग से डेबिट कार्ड लेनदेन को कम कर दिया है। व्यापारी यूपीआई को इसके आसान ऑनबोर्डिंग, शून्य स्वीकृति लागत (zero acceptance cost) और तत्काल फंड ट्रांसफर के कारण पसंद करते हैं। उपभोक्ता इसकी गति और सर्वव्यापी क्यूआर कोड (QR code) भुगतान प्रणाली की सराहना करते हैं। 2025 की पहली छमाही के दौरान, यूपीआई ने लेनदेन की मात्रा में 35% साल-दर-साल वृद्धि देखी, जो 106.4 बिलियन तक पहुंच गई, जबकि कुल पॉइंट-ऑफ-सेल वॉल्यूम केवल 4% बढ़ा। क्रेडिट कार्ड लेनदेन 25% बढ़ा, जबकि डेबिट कार्ड का उपयोग 24% घटकर 516 मिलियन लेनदेन रह गया। विशेषज्ञों का कहना है कि एक नई भुगतान पदानुक्रम (payment hierarchy) उभर रही है: यूपीआई बार-बार होने वाले, छोटे भुगतानों को संभालता है, क्रेडिट कार्ड उच्च-मूल्य के लेनदेन को पकड़ते हैं, और डेबिट कार्ड तेजी से नकद निकासी तक सीमित होते जा रहे हैं। 'क्रेडिट ऑन यूपीआई' (Credit on UPI) और 'बाय नाउ, पे लेटर' (Buy Now, Pay Later - BNPL) जैसे विकल्पों का उदय भी पारंपरिक क्रेडिट कार्ड से अधिक ईएमआई (EMI) प्रवाह को हटाने की उम्मीद है। प्रभाव: यह प्रवृत्ति बैंकों और भुगतान प्रदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती है, विशेष रूप से वे जो डेबिट कार्ड इंटरचेंज शुल्क पर बहुत अधिक निर्भर हैं। कम-मूल्य के लेनदेन में यूपीआई का प्रभुत्व राजस्व मॉडल पर दबाव डालता है। जबकि यूपीआई डिजिटल भुगतान अपनाने का विस्तार कर रहा है, वित्तीय संस्थानों के लिए व्यवहार्य अर्थशास्त्र (viable economics) सुनिश्चित करना एक प्रमुख चिंता बनी हुई है। कठिन शब्द: यूपीआई (UPI): यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित एक रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है जो बैंक खातों के बीच तत्काल धन हस्तांतरण की अनुमति देती है। पॉइंट-ऑफ-सेल (POS): वह स्थान जहाँ खुदरा लेनदेन पूरा होता है, जैसे स्टोर काउंटर या भुगतान टर्मिनल। क्यूआर कोड (QR Code): क्विक रिस्पांस कोड, एक प्रकार का मैट्रिक्स बारकोड जिसे स्मार्टफोन जैसे डिवाइस स्कैन कर सकते हैं ताकि जानकारी तक पहुँचा जा सके या भुगतान जैसे कार्यों को शुरू किया जा सके। किराना (Kiranas): छोटे पड़ोस के खुदरा स्टोर, जो भारत में आम हैं। बाय नाउ, पे लेटर (BNPL): अल्पकालिक वित्तपोषण का एक प्रकार जो उपभोक्ताओं को खरीदारी करने और उन्हें समय के साथ भुगतान करने की अनुमति देता है, अक्सर ब्याज-मुक्त किश्तों में।
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