Banking/Finance
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Updated on 10 Nov 2025, 01:01 am
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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दो संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित बैंकों ने प्रारंभिक जांच के बाद एक निजी भारतीय ऋणदाता (lender) में हिस्सेदारी हासिल करने का फैसला छोड़ दिया है। यह वापसी ऐसे समय में हुई है जब कथित तौर पर बैंक पर चल रही जांचों के कारण अभी भी गहन जांच चल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सक्रिय रूप से स्थिर विदेशी निवेशकों की तलाश कर रहा है, जिन्हें अक्सर 'धैर्यवान पूंजी' (patient capital) कहा जाता है, जो भारतीय बैंकों में दीर्घकालिक निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह उन निवेशकों के प्रति प्राथमिकता दर्शाता है जो बाजार की अस्थिरता के दौरान जल्दी बाहर नहीं निकलते हैं। सूत्रों से पता चला है कि एक प्रमुख जापानी बैंक, जिसने पहले भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अन्य संभावित सौदों को गंवा दिया था, अब स्थिति का अवलोकन कर रहा है। यह जापानी संस्थान किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले, चल रही जांचों और भारतीय बैंक की समग्र स्थिति के समाधान के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने को तैयार है। प्रभाव: यह खबर भारत के बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी अधिग्रहण की सुगमता के संबंध में निवेशक भावना को थोड़ा कम कर सकती है, खासकर यदि जांच लंबी चलती है। हालांकि, एक बड़े जापानी बैंक की निरंतर रुचि, हालांकि सतर्क है, यह संकेत देती है कि यह क्षेत्र धैर्यवान विदेशी पूंजी के लिए आकर्षक बना हुआ है, जो भारत के वित्तीय स्थिरता लक्ष्यों के लिए सकारात्मक है। इसमें शामिल विशिष्ट भारतीय बैंक को नए निवेश हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है या आत्मविश्वास में अस्थायी गिरावट का अनुभव हो सकता है।