Banking/Finance
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Updated on 14th November 2025, 1:23 PM
Author
Akshat Lakshkar | Whalesbook News Team
उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सितंबर तिमाही के लिए ₹348 करोड़ का नेट लॉस दर्ज किया है, जो पिछले साल के मुनाफे के विपरीत है। यह मुख्य रूप से कम आय और बढ़े हुए लोन प्रोविजन्स के कारण हुआ है। बैंक सुरक्षित उधार (secured lending) की ओर एक रणनीतिक बदलाव कर रहा है और उसने जमा (deposit) में मजबूत वृद्धि देखी है। सीईओ गोविंद सिंह ने लचीलापन (resilience) बनाने के प्रयासों पर जोर दिया, और अगले वित्तीय वर्ष के लिए सतर्क दृष्टिकोण (cautious outlook) रखा है।
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उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सितंबर तिमाही में ₹348 करोड़ का एक बड़ा नेट लॉस दर्ज किया, जो पिछले साल की इसी अवधि में रिपोर्ट किए गए ₹51 करोड़ के मुनाफे से काफी उलट है। इस घाटे का कारण नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में 37.2% की भारी गिरावट थी, जो ₹350.5 करोड़ रह गई। इसके अलावा, प्रोविजन्स में वृद्धि और इसके लोन पोर्टफोलियो में बढ़ते तनाव को भी जिम्मेदार ठहराया गया। बैंक के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) भी बढ़कर 12.42% हो गए।
इसके जवाब में, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक असुरक्षित माइक्रो-बैंकिंग से हटकर अधिक सुरक्षित उधार (secured lending) की ओर एक रणनीतिक बदलाव लागू कर रहा है। सुरक्षित ऋण (secured loans) अब पोर्टफोलियो का 47% हिस्सा बनाते हैं, जो एक साल पहले 38% था, भले ही कुल लोन बुक 2.3% सिकुड़ गई हो। इस बदलाव को "मात्रा से गुणवत्ता" (quantity to quality) पर ध्यान केंद्रित करने के रूप में वर्णित किया गया है।
लोन बुक में सिकुड़न के बावजूद, जमा (deposits) में साल-दर-साल 10% की मजबूत वृद्धि देखी गई, जो ₹21,447 करोड़ तक पहुंच गई, जिसमें रिटेल टर्म डिपॉजिट में 28.8% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई। बैंक ने ₹950 करोड़ के राइट्स इश्यू के माध्यम से अपनी पूंजी स्थिति (capital position) को भी मजबूत किया।
सीईओ गोविंद सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह तिमाही "लचीलापन बनाने" (building resilience) और आवास (housing) और MSME लोन जैसे सुरक्षित उत्पादों पर यील्ड (yields) को अनुकूलित (optimizing) करने के बारे में थी। बैंक FY26 को पुनर्गठन (recalibration) का वर्ष मानता है, और FY27 और FY28 में गति (momentum) वापस आने की उम्मीद करता है।
प्रभाव (Impact): इस खबर का उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक के स्टॉक प्रदर्शन (stock performance) और निवेशक भावना (investor sentiment) पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट किया गया घाटा और संपत्ति की गुणवत्ता (asset quality) संबंधी चिंताएं अल्पकालिक (short-term) रूप से नकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण बन सकती हैं। हालांकि, सुरक्षित उधार की ओर रणनीतिक बदलाव और मजबूत जमा वृद्धि, पूंजी निवेश (capital infusion) के साथ मिलकर, स्थिरता चाहने वाले दीर्घकालिक निवेशकों (long-term investors) के लिए सकारात्मक रूप से देखी जा सकती है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर समग्र प्रभाव सीमित है, लेकिन यह संपत्ति की गुणवत्ता और असुरक्षित ऋण जोखिम (unsecured loan exposure) का प्रबंधन करने वाले अन्य स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लिए एक चेतावनी की कहानी के रूप में काम करता है। रेटिंग: 7/10।