Banking/Finance
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2nd November 2025, 10:39 PM
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एस एंड पी ग्लोबल (S&P Global) की सूची में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) चार पायदान ऊपर चढ़कर दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में 43वें स्थान पर आ गया है, जिसकी कुल संपत्ति 846 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 में शामिल होने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, और इसके लिए बड़े पैमाने पर विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह बयान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के बीच समेकन (consolidation) की बढ़ती अटकलों के बीच आया है।
जबकि छोटे या कमजोर बैंकों को मिलाने से शायद वांछित वैश्विक पैमाना हासिल न हो, विशेषज्ञों का प्रस्ताव है कि कुछ अपेक्षाकृत मजबूत और बड़े PSBs को मिलाकर कुछ प्रमुख संस्थाएं बनाई जाएं, जिसमें संभवतः एसबीआई एक अकेला दिग्गज बना रहे। राजीव कुमार, जो नीति आयोग (NITI Aayog) के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंकों को मिलाने का सुझाव दिया है ताकि वैश्विक स्तर पर तुलनीय बैलेंस शीट बनाई जा सकें, जो भविष्य में निजीकरण (privatization) और धन जुटाने (fundraising) में भी सुविधा प्रदान करेंगी।
समेकन के पिछले दौर, विशेष रूप से 2017 और 2020 में, PSBs की संख्या को 27 से घटाकर 12 कर दिया गया था। इन विलयों से लाभप्रदता (profitability), पूंजी पर्याप्तता (capital adequacy) में सुधार हुआ और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में कमी आई। हालांकि, केवल आकार के लिए समेकन अर्थव्यवस्था को कितनी प्रभावी ढंग से सेवा देगा, इस पर चिंताएं बनी हुई हैं। हेमिंद्रा हजारी जैसे आलोचकों ने बताया है कि विलय हमेशा इच्छित तालमेल (synergies) हासिल नहीं करते हैं और क्षेत्रीय ग्राहक फोकस खो सकते हैं। भविष्य के विलयों की सफलता रणनीतिक निष्पादन (strategic execution), कुशल संसाधन आवंटन (skilled resource allocation), शासन सुधार (governance reforms) और तकनीकी आधुनिकीकरण (technological modernization) पर निर्भर करेगी।
प्रभाव: यह खबर भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। समेकन का उद्देश्य बड़े, अधिक प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना है जो बड़े पैमाने की परियोजनाओं को वित्तपोषित कर सकें और अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजारों (international debt markets) तक पहुँच सकें, जो भारत के आर्थिक विकास (economic growth) के लिए महत्वपूर्ण है। इससे दक्षता (efficiency) बढ़ सकती है, ऋण देने की क्षमता (lending capacity) सुधर सकती है और वैश्विक स्थिति (global standing) बेहतर हो सकती है। हालांकि, संभावित जोखिमों में शाखा युक्तिकरण (branch rationalization) के कारण नौकरियों का नुकसान और स्थानीयकृत ग्राहक सेवा (localized customer service) का नुकसान शामिल हो सकता है। सरकार का बड़े पैमाने पर आगे बढ़ने का प्रयास भारत के वित्तीय बुनियादी ढांचे (financial infrastructure) को मजबूत करने का एक रणनीतिक कदम है। रेटिंग: 8/10।