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आर्य.एजी और साउथ इंडियन बैंक की साझेदारी: वेयरहाउस फाइनेंसिंग से किसानों के लिए क्रेडिट सुलभ होगी

Banking/Finance

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29th October 2025, 9:44 AM

आर्य.एजी और साउथ इंडियन बैंक की साझेदारी: वेयरहाउस फाइनेंसिंग से किसानों के लिए क्रेडिट सुलभ होगी

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Stocks Mentioned :

South Indian Bank

Short Description :

आर्य.एजी, एक एकीकृत अनाज वाणिज्य मंच (integrated grain commerce platform), ने साउथ इंडियन बैंक के साथ बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट मॉडल के तहत साझेदारी की है। इस सहयोग का उद्देश्य छोटे किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और कृषि उद्यमों को वेयरहाउस रसीद वित्तपोषण (warehouse receipt financing) का लाभ उठाकर औपचारिक क्रेडिट प्रदान करना है। यह पहल भारत के फसल कटाई उपरांत ऋण अंतराल (post-harvest credit gap) को पाटने का प्रयास करती है, ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में संपार्श्विक-समर्थित ऋण (collateral-backed loans) प्रदान करती है जहाँ 60% से अधिक छोटे किसानों की औपचारिक ऋण चैनलों तक पहुँच नहीं है।

Detailed Coverage :

आर्य.एजी, एक अग्रणी घरेलू एकीकृत अनाज वाणिज्य मंच, ने साउथ इंडियन बैंक के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। यह सहयोग एक बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट मॉडल के तहत संचालित होगा, जिसे छोटे किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और विभिन्न कृषि उद्यमों के लिए औपचारिक क्रेडिट तक पहुँच को काफी बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस ऋण विस्तार का मुख्य तंत्र वेयरहाउस रसीद वित्तपोषण है, जहाँ संग्रहीत वस्तु स्वयं संपार्श्विक (collateral) के रूप में कार्य करती है। यह साझेदारी सीधे भारत के स्थायी फसल कटाई उपरांत ऋण अंतराल को संबोधित करती है, जो एक गंभीर समस्या है और कृषि समुदाय के एक बड़े हिस्से को कम सेवाएँ प्राप्त हैं। उद्योग अनुमानों के अनुसार, भारत के 60% से अधिक छोटे किसान औपचारिक ऋण चैनलों से बाहर हैं, और फसल कटाई उपरांत वित्तपोषण विशेष रूप से अविकसित है। जबकि इस खंड में ऋण की मांग Rs 1.4 लाख करोड़ से अधिक होने का अनुमान है, पारंपरिक बैंकिंग सेवाएँ केवल एक अंश को पूरा करती हैं, जिससे कई लोग कार्यशील पूंजी के लिए संघर्ष करते हैं। आर्य.एजी का प्लेटफ़ॉर्म 425 जिलों में 11,000 से अधिक वेयरहाउस में संग्रहीत वस्तुओं को डिजिटाइज़ करता है। यह डिजिटलीकरण प्रत्येक अनाज को एक 'डिजिटल संपत्ति' (digital asset) में बदल देता है जिसे पारदर्शी रूप से संग्रहीत, वित्तपोषित या बेचा जा सकता है। संग्रहीत वस्तु में वित्त को एंकर करके, आर्य.एजी जोखिम को उधारकर्ता की साख (creditworthiness) से हटाकर वस्तु की गुणवत्ता और मूल्य पर स्थानांतरित करता है, इस प्रकार पारंपरिक संपार्श्विक या विस्तृत कागजी कार्रवाई की आवश्यकता को दरकिनार करता है। साउथ इंडियन बैंक की व्यापक पहुँच और संस्थागत प्रतिबद्धता दूरदराज के कृषि जिलों में इस जोखिम-कम (risk-mitigated) ऋण समाधान की तैनाती को सक्षम करेगी। साझेदारी का उद्देश्य Rs 250 करोड़ से अधिक के ऋण की सुविधा प्रदान करना है। यह पहल किसानों को अपनी उपज को सुरक्षित करने और तत्काल वित्तपोषण प्राप्त करने की अनुमति देगी, जिससे उन्हें मजबूरी में बेचने के बजाय इष्टतम बाजार समय पर बेचने की सुविधा मिलेगी। प्रभाव: इस साझेदारी से भारत के कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन (financial inclusion) पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। क्रेडिट तक आसान पहुँच को सक्षम करके, यह किसानों और कृषि उद्यमों को सशक्त बना सकता है, जिससे संभावित रूप से लाभप्रदता बढ़ सकती है और वित्तीय संकट कम हो सकता है। यह ग्रामीण वित्त में प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों की भूमिका को भी मजबूत करता है। प्रभाव रेटिंग 8/10 है, क्योंकि यह एक बड़ी जनसंख्या वर्ग की एक मौलिक आर्थिक चुनौती का समाधान करता है।