Banking/Finance
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29th October 2025, 10:20 AM

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SEBI के प्रस्तावित सुधार: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए व्यापक बदलावों का प्रस्ताव रखा है। एक प्रमुख प्रस्ताव यह है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) द्वारा निवेशकों से वसूले जाने वाले ब्रोकरेज और लेनदेन लागत पर कैप लगाया जाए। वर्तमान में, ये लागतें टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) के अतिरिक्त भी ली जा सकती हैं, जिसमें फंड प्रबंधन, रिसर्च और परिचालन व्यय पहले से ही शामिल हैं। SEBI का मानना है कि इससे निवेशकों से दो बार शुल्क लिया जाता है, खासकर रिसर्च और सलाहकार सेवाओं के लिए। इसे संबोधित करने के लिए, SEBI नकद बाजार (cash market) के ट्रेडों के लिए ब्रोकरेज सीमा को 0.12% से घटाकर 0.02% और डेरिवेटिव्स के लिए 0.05% से घटाकर 0.01% करने का प्रस्ताव कर रहा है। म्यूचुअल फंड पर प्रभाव: यदि ये कैप लागू किए जाते हैं, तो AMCs को रिसर्च व्यय को वहन करना होगा, जिससे उनकी परिचालन लागत बढ़ सकती है और अल्पावधि में लाभ मार्जिन कम हो सकता है। बर्न्सटीन के विश्लेषकों ने इसे भारतीय संस्थागत इक्विटी प्रमुखों के लिए एक "सबसे बुरा सपना" बताया है। हालांकि म्यूचुअल फंड उद्योग को अल्पावधि में वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन सुधारों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना है, यह सुनिश्चित करना कि निवेशक केवल वास्तविक निष्पादन लागत (execution costs) के लिए भुगतान करें। निवेशक लाभ: खुदरा निवेशकों को बढ़ी हुई पारदर्शिता से लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि AMCs को सभी-समावेशी TER (all-inclusive TERs) का खुलासा करना होगा जिसमें घटक विवरण (component breakdowns) स्पष्ट होंगे। अतिरिक्त शुल्कों पर कैप लगाने से समय के साथ शुद्ध रिटर्न बढ़ सकता है, हालांकि तत्काल प्रभाव अनिश्चित है। व्यावसायिक प्रतिबंधों में ढील: SEBI ने AMCs पर व्यावसायिक प्रतिबंधों में ढील देने का भी प्रस्ताव दिया है। इसमें उन्हें निवेश प्रबंधन और सलाहकार सेवाओं को गैर-पूलित फंडों (non-pooled funds) जैसे फैमिली ऑफिस या संस्थागत पोर्टफोलियो को वितरित करने की अनुमति देना शामिल है। यह कदम, जो विश्व स्तर पर आम है, AMCs को बड़े निवेश आकर्षित करने और अपनी संपत्ति प्रबंधन (AUM) को बढ़ाने में मदद करेगा। बाजार प्रतिक्रिया: घोषणा के बाद, नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट, निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट और एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट जैसी प्रमुख AMCs के शेयरों में 9% तक की गिरावट देखी गई। अगले कदम: बाजार सहभागियों को उम्मीद है कि AMCs लाभ पर संभावित प्रभाव के कारण इन प्रस्तावों के खिलाफ लॉबिंग करेंगे। यदि SEBI महत्वपूर्ण समायोजन के बिना आगे बढ़ता है, तो दलालों (brokers) और वितरकों (distributors) को लागत में कमी का बोझ साझा करना पड़ सकता है। प्रभाव: यह नियामक ओवरहाल भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों, दलालों, वितरकों और लाखों खुदरा निवेशकों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। प्रस्तावित परिवर्तन निवेशकों के लिए अधिक पारदर्शिता और संभावित रूप से बेहतर रिटर्न दे सकते हैं, जबकि फंड हाउस और मध्यस्थों (intermediaries) के वर्तमान लाभ मॉडल को चुनौती देते हैं। प्रभाव रेटिंग: 8/10 कठिन शब्द: टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER), एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs), ब्रोकरेज, bps (आधार अंक), गैर-पूलित फंड।