Banking/Finance
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30th October 2025, 3:43 AM

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औद्योगिकपति अनिल अंबानी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी रिट याचिका वापस ले ली है, जिसमें आईडीबीआई बैंक द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) को दिए गए ₹750 करोड़ के लोन खातों को धोखाधड़ीपूर्ण (fraudulent) वर्गीकृत करने के संबंध में जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई थी। आईडीबीआई बैंक का आरोप है कि फंड का डायवर्जन या दुरुपयोग किया गया है और लोन की शर्तों (loan covenants) का उल्लंघन हुआ है। RCom के प्रमोटर और गारंटर होने के नाते अनिल अंबानी को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए तलब किया गया था। उनकी याचिका में यह मांग की गई थी कि जब तक उन्हें सभी प्रासंगिक सामग्री, जिसमें पूर्ण फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट भी शामिल है, प्राप्त न हो जाए और उन्हें जवाब देने का उचित अवसर न मिले, तब तक सुनवाई स्थगित रखी जाए। हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने संकेत दिया कि वह अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है। इसके बाद, अनिल अंबानी ने अपनी याचिका वापस ले ली और अदालत की अनुमति से आईडीबीआई बैंक के समक्ष "आपत्ति जताते हुए" (under protest) पेश होने के लिए सहमत हो गए, ताकि वह बैंक के समक्ष अपनी सभी दलीलें रख सकें और यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित होता है तो उपयुक्त मंच का दरवाजा खटखटा सकें। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है। यह उस समय हुआ जब अंबानी द्वारा भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ इसी तरह की एक याचिका, जिसमें उनके लोन खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय शामिल था, को उसी अदालत ने खारिज कर दिया था। प्रभाव: यह विकास यह दर्शाता है कि अनिल अंबानी को आईडीबीआई बैंक द्वारा RCom ऋणों के संबंध में शुरू की गई कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। इसका उनकी संबद्ध कंपनियों की निवेशक भावना पर असर पड़ सकता है और संभावित आगे की वित्तीय जांच या देनदारियों का संकेत दे सकता है। "आपत्ति जताते हुए" का सहारा लेना, निर्देशों का पालन करते हुए कानूनी अधिकारों को सुरक्षित रखने का एक प्रयास है। Rating: 5/10