Banking/Finance
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Updated on 11 Nov 2025, 03:51 pm
Reviewed By
Aditi Singh | Whalesbook News Team
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण मास्टर सर्कुलर जारी किया है, जिसमें म्युनिसिपल ऋण प्रतिभूतियों को रेपो लेनदेन में पात्र संपार्श्विक (eligible collateral) के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इस नीतिगत बदलाव से बैंकों को इन म्युनिसिपल बॉन्ड का उपयोग करके धन उधार लेने या देने की सुविधा मिलेगी, जिससे वित्तीय प्रणाली में तरलता (liquidity) बढ़ेगी।
**इसका मतलब क्या है:** म्युनिसिपल बॉन्ड शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे बुनियादी ढांचा विकास और स्मार्ट सिटी पहलों को वित्तपोषित करने के लिए जारी किए गए ऋण साधन हैं। पहले, संपार्श्विक के रूप में उनका उपयोग सीमित था। अब, रेपो लेनदेन में उन्हें स्वीकार करके, RBI का लक्ष्य तरलता और मांग बढ़ाना है।
**संभावित प्रभाव:** इस सुधार से म्युनिसिपल बॉन्ड की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, क्योंकि बैंकों के पास अब अपनी तरलता का प्रबंधन करने का एक नया तरीका है। परिणामस्वरूप, नगर पालिकाओं द्वारा वित्तपोषित राज्य-स्तरीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उधार लेने की लागत कम हो सकती है। हालांकि, जैसा कि एसबीआई की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, यूएलबी की वित्तीय बाधाओं और सरकारी अनुदानों पर निर्भरता के कारण म्युनिसिपल बॉन्ड को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, यह नया नियामक ढांचा एक आवश्यक बढ़ावा प्रदान कर सकता है। यह शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और स्थानीय सरकारों की वित्तीय क्षमताओं को बढ़ाने के भारत के चल रहे प्रयासों का समर्थन करता है।
**प्रभाव:** यह खबर सीधे भारतीय वित्तीय बाजारों, विशेष रूप से म्युनिसिपल बॉन्ड के ऋण बाजार खंड को प्रभावित करेगी, और अप्रत्यक्ष रूप से बुनियादी ढांचे के विकास और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।