Auto
|
3rd November 2025, 12:28 AM
▶
वैश्विक ऑटो उद्योग एक नई सेमीकंडक्टर चिप की कमी से जूझ रहा है, जो नीदरलैंड और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न हुई है। डच सरकार के Nexperia, जो चीन की विंगटेक टेक्नोलॉजी के स्वामित्व वाली नीदरलैंड-स्थित चिपमेकर है, का नियंत्रण लेने के फैसले के कारण चीन ने महत्वपूर्ण चिप्स के निर्यात को प्रतिबंधित करके जवाबी कार्रवाई की है। ये चिप्स, जिन्हें 'बिल्डिंग-ब्लॉक' कंपोनेंट्स के रूप में जाना जाता है, विभिन्न वाहन प्रणालियों के लिए आवश्यक हैं, जिनमें इंजन नियंत्रण, ADAS, लाइटिंग और इंफोटेनमेंट शामिल हैं। Nexperia की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है, अनुमानित 10%, और ऑटोमोबाइल में उपयोग होने वाले ट्रांजिस्टर और डायोड जैसे विशिष्ट उत्पाद क्षेत्रों में 40% तक। कंपनी अपनी कई चिप्स का प्रसंस्करण चीन में करती है, जिससे यह बीजिंग के निर्यात नियंत्रण के प्रति संवेदनशील हो जाती है। भारतीय कार निर्माताओं, जिनमें मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड शामिल हैं, ने निवेशक कॉलों के दौरान इस मुद्दे को स्वीकार किया है, और कहा है कि उनकी सप्लाई चेन टीमें उत्पादन रुकावटों को रोकने के लिए इन्वेंट्री और विक्रेता संबंधों का सक्रिय रूप से प्रबंधन कर रही हैं। बॉश लिमिटेड, जो भारतीय ऑटोमेकर्स का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, ने भी संभावित अस्थायी उत्पादन समायोजन की चेतावनी दी है यदि निर्यात प्रतिबंध जारी रहता है, जिससे ऐसे व्यवधानों के महत्वपूर्ण प्रभाव पर जोर दिया गया है। यह संकट ऐसे समय में आया है जब भारत में वाहनों की मांग बढ़ी है, और प्रमुख कंपनियों ने रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है। विश्लेषकों का सुझाव है कि Nexperia को एक आपूर्तिकर्ता के रूप में बदलना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया होगी, खासकर विशेष चिप्स के लिए। प्रभाव: इस समाचार का भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र और इसकी सप्लाई चेन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है, जिससे उत्पादन में देरी हो सकती है और यदि कमी लंबी चली तो बिक्री प्रभावित हो सकती है। रेटिंग: 8/10।